
गाजा में लगातार बिगड़ते हालात पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि वहां की मानवीय त्रासदी अब असहनीय हो गई है और वैश्विक समुदाय को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। स्टालिन ने भारत सरकार से अपील की कि वह मजबूती से अपना पक्ष रखे और बेगुनाहों की जान बचाने के लिए ठोस कदम उठाए।
सोशल मीडिया पर भावनात्मक अपील
स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट लिखते हुए गाजा में हो रहे अत्याचारों की निंदा की। उन्होंने कहा, “गाजा में हालात बहुत खराब हैं, दुनिया को इस पर ध्यान देना चाहिए। मैं गाजा में हो रहे अत्याचारों से स्तब्ध हूं। हर दृश्य दिल दहलाने वाला है। बच्चों की चीखें, भूखे बच्चे, अस्पतालों पर बमबारी और संयुक्त राष्ट्र की जांच समिति द्वारा नरसंहार की घोषणा — यह सब उस पीड़ा को दर्शाता है, जो किसी भी इंसान को नहीं झेलनी चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में चुप रहना विकल्प नहीं है। “जब इस तरह बेगुनाह लोगों की जान जा रही है, तो हर इंसान की अंतरात्मा को जागना होगा। भारत को मजबूती से बोलना चाहिए, दुनिया को एकजुट होना चाहिए और हम सबको मिलकर इस अत्याचार को खत्म करना चाहिए।”
गाजा में मानवीय संकट गहराया
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से अब तक गाजा में इजरायली हवाई हमलों और गोलीबारी में 65,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों लोग घायल हैं और लाखों बेघर हो चुके हैं। अस्पतालों पर बमबारी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं, जबकि खाद्य और दवाइयों की भारी किल्लत ने आम लोगों की जिंदगी को और मुश्किल बना दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गाजा अब मानवीय आपदा का केंद्र बन चुका है। वहां बच्चों और महिलाओं की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है। शिक्षा, रोजगार और सामान्य जीवन की सभी बुनियादी सुविधाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने गाजा को “कब्रिस्तान” करार देते हुए इजरायल के रवैये की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ इजरायली अधिकारियों द्वारा खुलेआम नरसंहार जैसी बयानबाजी और फिलिस्तीनियों के साथ हो रहा अमानवीय व्यवहार अस्वीकार्य है।
तुर्क ने यह भी कहा कि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमास के हमले के बाद शुरू हुआ यह युद्ध अब लगभग दो साल बाद भी खत्म नहीं हो सका है। “यह क्षेत्र शांति की गुहार लगा रहा है, लेकिन हर गुजरते दिन के साथ हालात और भयावह होते जा रहे हैं।”
भारत से बड़ी भूमिका निभाने की अपील
एम.के. स्टालिन ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह वैश्विक मंचों पर मजबूती से गाजा का मुद्दा उठाए। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से शांति और मानवता का पक्षधर रहा है, इसलिए मौजूदा हालात में उसका नेतृत्व और भी अहम हो जाता है।
स्टालिन का मानना है कि भारत यदि स्पष्ट रुख अपनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने की कोशिश करे, तो गाजा में जारी हिंसा को रोकने और शांति बहाल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
राजनीतिक और मानवीय संदेश
स्टालिन का यह बयान सिर्फ मानवीय संवेदना नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। डीएमके प्रमुख ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि मानवता सर्वोपरि है और किसी भी सरकार या संगठन को निर्दोष नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
उनकी यह अपील भारत की पारंपरिक विदेश नीति — “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और “विश्व बंधुत्व” — के अनुरूप भी मानी जा रही है।
गाजा में मानवीय संकट लगातार गहराता जा रहा है और हर रोज हजारों जिंदगियां खतरे में पड़ रही हैं। इस बीच, एम.के. स्टालिन का बयान भारत सरकार से सक्रिय भूमिका निभाने की अपील है। उन्होंने साफ कहा कि अब चुप रहना संभव नहीं है। भारत यदि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से अपनी बात रखे और शांति के प्रयासों में सक्रिय हो, तो गाजा के लाखों बेगुनाह लोगों को राहत मिल सकती है।

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