
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने राज्य की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार एक सामान्य शिष्टाचार बन गया है, और सत्ता में बैठे लोगों के लिए यह स्वीकार्य है, जबकि विपक्ष के नेताओं को अपनी बात कहने पर भी भ्रष्टाचारी करार दिया जाता है। रावत ने यह बात मीडिया से बातचीत के दौरान कही, जिसमें उन्होंने सीबीआई और ईडी के नोटिस से लेकर उत्तराखंड में आई हालिया आपदा तक कई मुद्दों पर अपनी राय रखी।
‘दोस्त’ बनकर आते हैं सीबीआई और ईडी
जब पत्रकारों ने हरीश रावत से सीबीआई के नोटिस के बारे में पूछा, तो उन्होंने तंज भरे लहजे में जवाब दिया। उन्होंने कहा, “वे हमारे दोस्त हैं, जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं, वे हमारे पास आते हैं। इस बार भी आए हैं और हम उनके सम्मान का सम्मान करेंगे।” उन्होंने बताया कि उन्होंने सीबीआई से अक्टूबर में मिलने का आग्रह किया है।
रावत ने कहा कि ये सब अब उनके लिए सामान्य हो गया है। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “मुझे लगा था कि उम्र हो चली है और मुझे शायद इन चीजों से छुटकारा मिल जाए, लेकिन हमारे दोस्त हमारा सम्मान करना चाहते हैं। उनका स्वागत है।”
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सिर्फ कांग्रेस नेताओं को ही सीबीआई और ईडी के नोटिस मिलते हैं। रावत ने कहा, “ऐसे बहुत से नेता हैं, जिन्हें भाजपा महाभ्रष्ट कहती थी। आज वे सभी नेता भाजपा का हिस्सा हैं और उन्हें जैसे क्लीन चीट दे दी गई है। भाजपा की वॉशिंग मशीन में बड़ी ताकत है।” उनका यह बयान उन विपक्षी नेताओं की ओर इशारा था जो भाजपा में शामिल होने के बाद जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बच गए हैं।

आपदा पर सरकार की तैयारी पर उठाए सवाल
हरीश रावत ने उत्तराखंड में आई हालिया आपदा को लेकर भी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह आपदा कई चेतावनियां दे रही है, खासकर देहरादून में। रावत ने याद दिलाया कि 2013 की आपदा में भी देहरादून का इतना बुरा हाल नहीं हुआ था। लेकिन इस बार देहरादून को बड़ा नुकसान हुआ है, और सरकार या बड़ी संस्थाओं ने शहर की सुरक्षा के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में शासन की स्थिति कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा, “अधिकारी अगर मंत्रियों के फोन नहीं उठा रहे हैं, इसका अर्थ है कि शासन प्रभावहीन हो चुका है।” उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आपदा के बाद के दौरों का जिक्र करते हुए कहा कि दौरे करना अच्छी बात है, लेकिन सरकार को इस बात का जवाब देना होगा कि बड़े पैमाने पर पुल क्यों टूट गए। उन्होंने पूछा, “क्या वे कमजोर ही बनाए गए थे?”
रावत का यह बयान सरकार पर आपदा प्रबंधन और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर सीधा सवाल है। उन्होंने मांग की कि सरकार को इन मुद्दों पर जवाबदेह होना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
कुल मिलाकर, हरीश रावत का यह बयान उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक उठापटक और सरकार की कार्यप्रणाली पर विपक्ष की चिंता को दर्शाता है। उन्होंने भ्रष्टाचार, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की।

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