
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। यह उपलब्धि देश के युवाओं को नौकरी चाहने वालों से नौकरी देने वाला बना रही है। वे गुजरात के गांधीनगर में ‘स्टार्टअप कॉन्क्लेव-2025’ का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। इस कॉन्क्लेव की थीम ‘एलिवेट, इनोवेट एंड एक्सलरेट’ रखी गई है, जो भारत के बढ़ते स्टार्टअप परिदृश्य को दर्शाती है।
मोदी सरकार की नीतियों का परिणाम
अमित शाह ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए ‘स्टार्टअप इंडिया’ अभियान को इस सफलता का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि इस अभियान के परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। गृह मंत्री ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत की रैंकिंग वैश्विक नवाचार सूचकांक में 91 से बढ़कर 38 हो गई है, और उन्हें विश्वास है कि अगले तीन वर्षों में भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल हो जाएगा। शाह ने कहा, “यह हमारे लोगों की क्षमता को दर्शाता है।”
यह योजना 2016 में नवाचार को बढ़ावा देने और एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। इसके तहत सरकार ने कई पहलें की हैं, जिनमें वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचा, नीतिगत समर्थन और बैंकिंग सहायता शामिल हैं।

आंकड़ों की जुबानी, सफलता की कहानी
अमित शाह ने स्टार्टअप क्रांति को संख्याओं के माध्यम से समझाया। उन्होंने बताया कि 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तो देश में केवल 500 स्टार्टअप थे। आज, यह संख्या 1.92 लाख तक पहुँच गई है। इसी तरह, 2014 में देश में केवल 4 यूनिकॉर्न थे, जबकि अब इनकी संख्या बढ़कर 120 हो गई है, जिनका संयुक्त बाजार मूल्य 350 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
यह वृद्धि केवल संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि गुणवत्ता और समावेशिता को भी दर्शाती है। कुल स्टार्टअप्स में से 52 प्रतिशत टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थापित हैं। यह दर्शाता है कि यह क्रांति केवल बड़े महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों तक भी पहुँच रही है।
महिलाओं की भागीदारी भी इस सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अमित शाह ने बताया कि कुल स्टार्टअप्स में से 48 प्रतिशत महिलाओं द्वारा शुरू किए गए हैं। इस इकोसिस्टम ने अब तक 17.90 लाख लोगों को रोजगार दिया है। औसतन, सालाना 17,000 स्टार्टअप स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 9,000 टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं। यह आकंड़े यह बताते हैं कि स्टार्टअप इकोसिस्टम देश में रोजगार सृजन और उद्यमिता को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सरकार का सहयोग: वित्तीय और ढांचागत प्रोत्साहन
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार शुरू से ही जानती थी कि स्टार्टअप्स को सफल बनाने के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से, 2014 से देश भर के स्टार्टअप्स को वित्तीय और ढांचागत सहायता दी गई है।
फंड ऑफ फंड्स: स्टार्टअप्स की मदद के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स बनाया गया है।
ऋण सीमा में वृद्धि: स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए अधिकतम ऋण सीमा को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
कर रियायतें: सरकार ने स्टार्टअप्स को कई कर रियायतें भी दी हैं, जिससे उन्हें शुरुआती चरणों में वित्तीय बोझ से राहत मिली है।
शाह ने इस बात पर जोर दिया कि ये सभी कदम स्टार्टअप्स को अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं।

गुजरात का मॉडल: स्टार्टअप्स में अग्रणी
अमित शाह ने इस कॉन्क्लेव के लिए गुजरात को एक उपयुक्त स्थल बताते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों से गुजरात स्टार्टअप क्षेत्र में देश का नेतृत्व कर रहा है। राज्य सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें इन्क्यूबेटर, मेंटरशिप कार्यक्रम और वित्तीय सहायता शामिल हैं।
यह कॉन्क्लेव ‘एलिवेट, इनोवेट एंड एक्सलरेट’ की थीम के साथ, देश के स्टार्टअप्स को एक मंच प्रदान कर रहा है ताकि वे अपने विचारों को साझा कर सकें, नेटवर्क बना सकें और नए अवसरों की तलाश कर सकें। गृह मंत्री का यह बयान एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश देता है कि मोदी सरकार युवाओं को रोजगार चाहने वालों से उद्यमी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, और यह कदम भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

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