
भारत वैश्विक क्षमता केंद्रों (Global Capability Centers – GCCs) के मानचित्र पर तेजी से उभरता हुआ एक प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा स्थापित ये केंद्र अब केवल बैक ऑफिस संचालन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे नवाचार, अनुसंधान और उच्च तकनीकी विकास के केंद्र बन चुके हैं। बदलते वैश्विक परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में एच-1बी वीजा पर सख्ती के बाद, भारत में जीसीसी के लिए अवसरों का दायरा और भी व्यापक हो गया है।
GCC : एक नई कार्य संस्कृति का उदय
जीसीसी किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी अन्य देश में स्थापित वह कार्यस्थल होता है, जहां सॉफ्टवेयर विकास, डेटा विश्लेषण, ग्राहक सेवा, वित्तीय प्रबंधन और अनुसंधान जैसे कार्य किए जाते हैं। एक समय भारत में कॉल सेंटर संस्कृति का बोलबाला था, लेकिन जीसीसी उससे कहीं आगे निकल चुके हैं। ये केंद्र अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, और उत्पाद डिजाइन जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
भारत में वर्तमान में 1,800 से अधिक जीसीसी सक्रिय हैं, जो 21.6 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। भारतीय प्रतिभा, अपेक्षाकृत कम लागत और वीजा संबंधी सहूलियतें इन केंद्रों की स्थापना को आकर्षक बनाती हैं। यही कारण है कि भारत का जीसीसी इकोसिस्टम वैश्विक कंपनियों के लिए नवाचार का सस्ता और प्रभावी आधार बनता जा रहा है।

रिपोर्टों में भारत की मजबूती
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट ‘Catalyzing Value Creation in Indian Global Capability Centers’ के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 से 2024 के बीच भारतीय जीसीसी ने अपनी मूल कंपनियों के लिए सालाना 10–11% मूल्यवृद्धि की है। वहीं, बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट बताती है कि भारत न केवल जीसीसी का सबसे बड़ा केंद्र है, बल्कि प्रदर्शन के मामले में भी सबसे संतुलित है। भारत में 30% जीसीसी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि केवल 6% ही अपेक्षाकृत कमजोर हैं।
यह दर्शाता है कि भारतीय जीसीसी अब केवल लागत-बचत के केंद्र नहीं, बल्कि नवाचार और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाले रणनीतिक केंद्र बन चुके हैं। वे डिजिटल कायाकल्प, जोखिम प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला संचालन और ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
सरकारी प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचे का विस्तार
केंद्र सरकार भी जीसीसी को प्रोत्साहित करने में सक्रिय है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में विशाखापत्तनम में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि सरकार राज्यों के साथ मिलकर भारत को जीसीसी का सबसे आकर्षक केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे महानगरों में जीसीसी का विस्तार हो चुका है, लेकिन अब टीयर-2 और टीयर-3 शहरों को भी इस विकास यात्रा में शामिल करने की आवश्यकता है।
इसके लिए सरकार ने पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2014 में यह जीडीपी का 1.7% था, जो 2025 में बढ़कर 3.2% हो गया है। इससे देशभर में हवाई अड्डों, रेलवे, मेट्रो, बंदरगाहों और राजमार्गों का विस्तार हो रहा है, जो जीसीसी के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रहा है।
उद्योग संगठनों की पहल और सुझाव
उद्योग संगठन CII ने जीसीसी इकोसिस्टम को और मजबूत बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं:—
एक राष्ट्रीय जीसीसी परिषद का गठन, जो केंद्र, राज्य और वैश्विक निवेशकों के बीच समन्वय स्थापित करे।
एआई, अंतरिक्ष तकनीक और क्वांटम एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ डिजिटल आर्थिक क्षेत्र (DEZ) का विकास।
साइबर सुरक्षा, इंजीनियरिंग अनुसंधान और उत्पाद नवाचार के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना।
सिंगल विंडो अनुमति प्रणाली, जिससे भूमि अधिग्रहण, डेटा केंद्र और अनुपालन संबंधी प्रक्रियाएं सरल और तेज हों।
उच्च-मूल्य कार्यों के लिए लक्षित प्रोत्साहन योजनाएं, जो जीसीसी को शोध, डिजाइन और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ाएं।

कौशल विकास और समावेशी विस्तार की आवश्यकता
जीसीसी के विस्तार को संतुलित और समावेशी बनाने के लिए छोटे शहरों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा। साथ ही, उद्योग-शिक्षा साझेदारी के तहत भविष्योन्मुख क्षेत्रों में कौशल विकास और प्रमाणन कार्यक्रम शुरू करने की आवश्यकता है। राज्य स्तर की जीसीसी नीतियों को राष्ट्रीय ढांचे से तालमेल में लाना भी जरूरी है।
स्थानीय स्तर पर भूमि और बिजली सब्सिडी, लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम और निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे।
नवाचार और रोजगार का भविष्य
यदि इन सभी पहलुओं पर समुचित ध्यान दिया गया, तो इस दशक के अंत तक जीसीसी भारत में 25 करोड़ नई नौकरियों का सृजन कर सकते हैं। साथ ही, वे भारत को नवाचार और तकनीकी नेतृत्व की दिशा में नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।
जीसीसी अब केवल वैश्विक कंपनियों के सहायक केंद्र नहीं, बल्कि भारत की प्रगति के नए इंजन बन चुके हैं। यह समय है कि सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत मिलकर इस अवसर को पूरी तरह साधें और भारत को वैश्विक नवाचार का अगला केंद्र बनाएं।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



