
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसी बनर्जी (पीसीबी) छात्रावास में रैगिंग की शिकायत पर हुई कार्रवाई ने बड़ा रूप ले लिया है। छह दिनों तक चली जांच के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने रैगिंग में संलिप्त पाए गए 18 अंतःवासियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही इन छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें 16 अक्टूबर को अपने अभिभावकों के साथ जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
शिकायतों के बाद हुई छापेमारी
रैगिंग की शिकायतें एंटी रैगिंग पोर्टल (नई दिल्ली), उत्तर प्रदेश शासन के लखनऊ प्रकोष्ठ और विश्वविद्यालय के कुलानुशासक कार्यालय को प्राप्त हुई थीं। इसके बाद कुलानुशासक प्रो. राकेश सिंह ने उपकुलानुशासक डॉ. अतुल नारायण सिंह, सुरक्षा गार्डों और कर्नलगंज थाने की पुलिस टीम के साथ 19 सितंबर की रात छात्रावास में अचानक छापा मारा।
छापेमारी के दौरान कई वरिष्ठ छात्रों को रैगिंग में संलिप्त पाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि छात्र वाट्सएप कॉल और संदेशों के माध्यम से नवप्रवेशी छात्रों पर अनुचित दबाव बना रहे थे। यह व्यवहार न केवल अनुशासनहीनता का उदाहरण था, बल्कि मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में भी आता है।
नियमों का उल्लंघन और सुरक्षा खतरे
छापेमारी के दौरान छात्रावास के कई कमरों से बड़े क्वायल हीटर जब्त किए गए, जो विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन हैं और सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इसके अलावा, कुछ ऐसे छात्र भी पाए गए जिनका नाम न तो विश्वविद्यालय में पंजीकृत था और न ही छात्रावास की प्रवेश सूची में। यह तथ्य प्रशासनिक लापरवाही और अवैध प्रवेश की ओर इशारा करता है।
🔍 जांच समिति की गहन पड़ताल
रैगिंग की घटना की जांच के लिए गठित समिति ने मामले की गहन पड़ताल की। समिति ने छात्रों के बयान, तकनीकी साक्ष्य और छापेमारी के दौरान मिले प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि 18 छात्र रैगिंग में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से संलिप्त थे। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया।
निलंबित छात्रों की सूची
निलंबित छात्रों में बीए और बीएससी के विभिन्न वर्षों के विद्यार्थी शामिल हैं। इनमें भिलाई के अभिषेक वर्मा, अंबेडकर नगर के हर्ष दुबे और अमरनाथ, आरा के आयुष कुमार, रीवा के धनराज सिंह, मीरजापुर के उज्जवल सिंह और आयुष कुमार, जौनपुर के उत्कर्ष कौशिक, महोबा के दीप प्रकाश, सहरसा के आयुष कुमार, कटनी के गगन सोनी, आजमगढ़ के शक्ति स्वरूप सिंह और अजय सिंह शामिल हैं। इसके साथ ही जौनपुर के सूयांश और कुशीनगर के जय किशन को भी निलंबित किया गया है।
अभिभावकों की उपस्थिति अनिवार्य
विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सभी निलंबित छात्रों को 16 अक्टूबर को अपने अभिभावकों के साथ जांच समिति के समक्ष उपस्थित होना अनिवार्य है। यह कदम छात्रों की जिम्मेदारी तय करने और अभिभावकों को भी स्थिति से अवगत कराने के उद्देश्य से उठाया गया है।
रैगिंग के खिलाफ सख्त रुख
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए यह संदेश दिया है कि रैगिंग जैसी अमानवीय और गैरकानूनी गतिविधियों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि यदि छात्रों की संलिप्तता जांच में पूरी तरह सिद्ध होती है, तो उनके खिलाफ आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निष्कासन तक की सिफारिश की जा सकती है।
अनुशासन और सुरक्षा सर्वोपरि
यह मामला एक बार फिर रैगिंग के गंभीर परिणामों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। विश्वविद्यालयों में अनुशासन और सुरक्षा सुनिश्चित करना केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि छात्रों और अभिभावकों की भी साझा जिम्मेदारी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की यह कार्रवाई अन्य संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी है कि रैगिंग को जड़ से समाप्त करने के लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है।

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