
समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और कानपुर की सीसामऊ सीट से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी मंगलवार देर शाम करीब 34 महीने बाद जेल से रिहा हो गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट से गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई संभव हो सकी। इरफान सोलंकी 2 दिसंबर 2022 से जेल में बंद थे और प्रशासनिक कारणों से उन्हें दिसंबर 2022 में कानपुर जेल से महाराजगंज जिला कारागार में शिफ्ट किया गया था, जहाँ से उनकी रिहाई हुई।
सोमवार को हाईकोर्ट ने उन्हें, उनके भाई रिजवान सोलंकी और एक अन्य आरोपी को गैंगस्टर एक्ट के मामले में जमानत प्रदान की थी। इसके साथ ही, पूर्व विधायक के खिलाफ आगजनी, प्लॉट कब्जाने, रंगदारी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने जैसे अन्य मामलों में भी उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी। इन सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद, मंगलवार देर शाम महाराजगंज जिला जेल के दरवाजे उनके लिए खुल गए। उनकी रिहाई की खबर से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
भावुक क्षण: परिवार से मिलन और समर्थकों में उत्साह
रिहाई का क्षण अत्यंत भावुक और स्नेहपूर्ण रहा। जैसे ही इरफान सोलंकी जेल से बाहर आए, उनकी पत्नी नसीम सोलंकी (जो वर्तमान में फाफामऊ से सपा की विधायक हैं), बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य उनकी ओर दौड़ पड़े। इरफान ने सबसे पहले अपने बच्चों और पत्नी को गले लगाया और उनसे स्नेह का इजहार किया। कार में बैठीं नसीम ने भी अपने पति को पुकार कर अपना प्यार जताया। परिवार से मिलने के बाद इरफान सोलंकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “यह न्याय की जीत है। मुझे अल्लाह पर भरोसा था, भरोसा है, और भरोसा रहेगा।”

जेल के बाहर उनके समर्थकों की भारी भीड़ जुटी हुई थी। रिहाई मिलते ही समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी की और फूल-मालाओं से अपने नेता का गर्मजोशी से स्वागत किया। इरफान ने सभी समर्थकों और कार्यकर्ताओं का हाथ हिलाकर अभिवादन किया और उनका शुक्रिया अदा किया। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला जेल के आसपास कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसके बाद वह अपने परिवार के साथ सड़क मार्ग से एक काफिले के रूप में अपने आवास कानपुर के लिए रवाना हो गए।
विधायक पद गंवाना और पत्नी का चुनाव
इरफान सोलंकी की कानूनी लड़ाई के कारण उन्हें अपना विधायक पद भी गंवाना पड़ा था। उन्हें कानपुर में एक महिला के प्लॉट पर आगजनी के मामले में सात साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उनकी विधायकी चली गई थी। इस खाली हुई सीट पर हुए उपचुनाव में, समाजवादी पार्टी ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया, जिन्होंने जीत हासिल कर अपने पति की विरासत को आगे बढ़ाया।
जिस मामले ने इरफान सोलंकी के राजनीतिक करियर में उथल-पुथल मचाई, वह नवंबर 2022 का था। जाजमऊ की डिफेंस कॉलोनी स्थित एक प्लॉट में रहने वाली नजीर फातिमा के घर में 7 नवंबर 2022 को आग लग गई थी। नजीर फातिमा ने सपा विधायक इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी और उनके साथियों पर जानबूझकर आग लगाने का आरोप लगाया था। इस घटना के बाद ही जाजमऊ थाने में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक की तहरीर पर उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट समेत कई मुकदमे दर्ज किए गए थे।

आगजनी मामले में सजा और आगे की राह
आगजनी के इस मामले में, अदालत ने इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी, मो. शरीफ, शौकत अली और इजराइल आटे वाला को दोषी करार दिया था। 3 जून को उन्हें आगजनी, नुकसान पहुंचाने, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में दोषसिद्ध किया गया, जिसके बाद 7 जून को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई और उन्हें सात साल की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के लिए उन्हें महाराजगंज जेल से कानपुर नहीं लाया गया था। हालांकि, अब गैंगस्टर एक्ट के तहत जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई हो गई है, लेकिन आगजनी के मामले में उनकी कानूनी लड़ाई अभी भी जारी रहेगी। यह देखना होगा कि कानपुर लौटने के बाद, इरफान सोलंकी अपनी राजनीतिक सक्रियता को किस तरह आगे बढ़ाते हैं और आने वाले चुनावों में उनकी क्या भूमिका रहती है।

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