
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कार्यक्रम की घोषणा आज (सोमवार) की जा सकती है। पूरे राज्य की निगाहें अब शाम 4 बजे होने वाली एक प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं, जिसे भारत निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी में बुलाया है। माना जा रहा है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा के चुनाव की तारीखों का विस्तृत ऐलान करेगा।
यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, राज्य में अगली विधानसभा के गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया को इस तारीख से पहले पूरा करना अनिवार्य है। इस घोषणा के साथ ही बिहार में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिससे राज्य की चुनावी सरगर्मियां अपने चरम पर पहुंच जाएंगी।
2020 में तीन चरणों में हुए थे चुनाव, अब नई पहल की तैयारी
बिहार, अपने विशाल मतदाता आधार और जटिल लॉजिस्टिक्स के कारण, देश के सबसे बड़े चुनावी राज्यों में से एक है। पिछली बार 2020 में हुए विधानसभा चुनाव तीन चरणों में संपन्न कराए गए थे, ताकि सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से संभाला जा सके। 2020 के चुनावों में पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ था, जिसके बाद 3 नवंबर को दूसरे चरण में 94 सीटों पर और अंत में 7 नवंबर को तीसरे चरण में 78 सीटों पर वोटिंग हुई थी। सभी चरणों की मतगणना 10 नवंबर को संपन्न हुई थी। इस बार चुनाव कितने चरणों में होंगे, इसका खुलासा भी आज शाम 4 बजे होने की संभावना है।

चुनाव की घोषणा से ठीक पहले, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने रविवार को बिहार में अपना दो दिवसीय दौरा सफलतापूर्वक पूरा किया। इस दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने चुनाव आयुक्तों सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी के साथ राज्य में चुनाव तैयारियों की व्यापक और गहन समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण माहौल में आयोजित हों।
पारदर्शिता और सुविधा पर आयोग का विशेष ध्यान
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दौरे के समापन पर यह घोषणा की कि बिहार विधानसभा चुनाव से चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए कई नई और महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की जाएगी। ये पहलें मुख्य रूप से पारदर्शिता बढ़ाने और मतदाताओं के साथ-साथ राजनीतिक दलों की सुविधा में सुधार लाने पर केंद्रित हैं।
तकनीक और पारदर्शिता की खास पहल
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार सबसे बड़ी नई पहल यह होगी कि सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग लागू की जाएगी। इसका अर्थ है कि हर पोलिंग बूथ से मतदान की प्रक्रिया की लाइव निगरानी की जाएगी, जिससे किसी भी तरह की धांधली की आशंका को कम किया जा सकेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
इसके अलावा, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) मतपत्र पर उम्मीदवारों के नाम के साथ अब उनकी रंगीन तस्वीरें भी दिखाई जाएंगी। यह कदम मतदाताओं को भ्रम से बचाने और समान नाम वाले उम्मीदवारों के बीच अंतर करने में मदद करने के लिए उठाया गया है।
मतदाताओं की सुविधा का खयाल
मतदाताओं की सुविधा के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। अब मतदाता पर्ची पर नाम बड़े अक्षरों में छपे होंगे, ताकि मतदाताओं को अपना मतदान केंद्र ढूंढने और जानकारी पढ़ने में आसानी हो। एक और महत्वपूर्ण बदलाव जो पहली बार शुरू किया जा रहा है, वह है मतदाताओं को मतदान केंद्रों के बाहरी क्षेत्र में अपने मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति देना। हालांकि, उन्हें मतदान कक्ष के भीतर फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी, लेकिन यह सुविधा मतदाताओं के लिए संचार और लॉजिस्टिक्स को आसान बना सकती है।

राजनीतिक दलों की भागीदारी
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों को भी कुछ राहत और जिम्मेदारी दी है। अब राजनीतिक दलों को मतदान केंद्रों से मात्र 100 मीटर की दूरी पर अपना पोलिंग एजेंट बूथ स्थापित करने की अनुमति होगी। यह पहले की तुलना में एजेंटों को मतदान प्रक्रिया के करीब रहने की सहूलियत प्रदान कर सकता है।
सबसे महत्वपूर्ण रूप से, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, राजनीतिक दलों के बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को मतदान शुरू होने से पहले आयोजित किए जाने वाले मॉक पोल में अनिवार्य रूप से भाग लेने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, उनसे यह भी कहा गया है कि वे मतदान समाप्त होने के बाद फॉर्म 17सी जमा करें। फॉर्म 17सी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है, जिसमें डाले गए वोटों की संख्या का रिकॉर्ड होता है, और इसे जमा करने से मतगणना की प्रक्रिया में राजनीतिक दलों का विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी।
आज शाम 4 बजे होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन सभी तैयारियों के साथ-साथ, बिहार में चुनावी रणभेरी बजने की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी।

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