
पाकिस्तान इस समय आंतरिक विद्रोहों के एक अभूतपूर्व दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में जारी बड़े पैमाने का आंदोलन हो या बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ती अशांति, देश के विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तान हुकूमत और सैन्य प्रतिष्ठान के खिलाफ जनाक्रोश मुखर हो उठा है। इन आंदोलनों की जड़ें पुरानी हैं, लेकिन पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने इस असंतोष को विस्फोटक बना दिया है।
पीओके में विद्रोह: सब्सिडी कटौती और फ़ौजी नियंत्रण
पीओके में इन दिनों जो आंदोलन चल रहा है, उसके बीज बीते कुछ वर्षों में बोए गए हैं। जैसे-जैसे पाकिस्तानी हुकूमत की आर्थिक स्थिति खराब होती गई, उसने यहाँ दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करना शुरू कर दिया। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था बिगड़ी और लोगों पर दबाव बढ़ा। नतीजतन, बिजली की दरों या आटे की कीमतों को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए हैं।
दिक्कत यह है कि पीओके में हमेशा वही लोग सत्ता में रहे हैं, जिनको पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान का समर्थन मिलता रहा है। ये नेता जनता की नुमाइंदगी करने के बजाय, फौज के गुण गाते रहे हैं और पाकिस्तानी हुकूमत से मिलने वाले संसाधनों को आपस में बांटते रहे हैं। बैरिस्टर सुल्तान महमूद चौधरी हों या मौजूदा मुख्यमंत्री चौधरी अनवारुल हक, सभी का यही रवैया रहा है।

लोगों का विरोध विधानसभा की संरचना पर भी है। विधानसभा में 53 सीटें हैं, जिनमें से 12 सीटें 1947 के बंटवारे में वहाँ गए शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं। आमतौर पर इन सीटों पर पाकिस्तानी फौज का पूरा असर होता है और ये सीटें उसी दल के खाते में जाती हैं, जिसको फौज सरकार बनाने के लिए ‘चुनती’ है। लोग मंत्रियों की संख्या सीमित करने की भी मांग कर रहे हैं।
‘ज्वॉइंट अवामी एक्शन कमेटी’ का उदय
साल 2023 में जब ऐसा ही विद्रोह हुआ था, तब वहाँ पहली बार पाकिस्तानी सत्ता और फौजी निजाम के खिलाफ ऐसे नारे लगे थे, जिनकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। आम लोगों के साझा प्रयास से यहाँ एक तंजीम बनी है, जिसका नाम है ‘ज्वॉइंट अवामी एक्शन कमेटी।’ इसकी खासियत इसका विकेन्द्रीकृत ढांचा है। अब किसी एक नेता की गिरफ्तारी से दल की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता, जिस कारण इसका प्रभाव तेजी से बढ़ा है।
चौतरफा संकट: बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और आतंकी संगठन
पाकिस्तानी हुकूमत के लिए चिंता की वजह सिर्फ पीओके का आंदोलन नहीं है। जिस तरह पीओके में राजनीतिक दलों की साख खत्म हुई है, उसी तरह:–
-बलूचिस्तान में भी बलोच एकजुट हो रहे हैं।
-खैबर पख्तूनख्वा में भी जनांदोलन आकार ले रहा है।

इन सब आंदोलनों से भारत के खिलाफ दुष्प्रचार का उसका तंत्र ध्वस्त हो रहा है। सबसे बड़ी परेशानी का सबब यह है कि जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के लड़ाके भी इन प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि यहाँ की आतंकी तंजीमें अब उसी की जड़ें काटने में लगी हैं। खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय इत्तेहाद उल मुजाहिदीन पाकिस्तान ने तो पीओके में पाकिस्तानी फौज पर हमला करने का दावा भी किया है।
भारत की सतर्कता: आजादी की मांग और सुरक्षा चुनौतियां
भारत की इन तमाम मामलों पर स्वाभाविक ही नजर है। हालांकि, भारतीय पक्ष को इस बात का संवेदनशील आकलन करने की ज़रूरत है कि जब पीओके में हुकूमत के खिलाफ विद्रोह या आजादी की मांग उठती है, तो जरूरी नहीं कि वे हिन्दुस्तान में शामिल होना चाहते हों। इस बार भी आजादी की उनकी मांग के अर्थ अलग हैं।
एक गंभीर चिंता यह भी है कि अगर वहाँ आतंकी तंजीमें सक्रिय होती हैं, तो सीमा से लगे भारतीय क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। विशेषकर, लद्दाख में पैदा हुए तनाव को देखते हुए भारत को विशेष सावधानी बरतनी होगी और तमाम विवादों का संवेदनशील समाधान खोजना होगा।

ठगा महसूस कर रहे अन्य क्षेत्र
पाकिस्तान चौतरफा समस्याओं से जूझ रहा है। चीन के साथ लगने वाली उसकी सरहद भी करीब 75-80 दिनों से व्यापार के लिए बंद थी, क्योंकि व्यापारी सीमा शुल्क में कटौती जैसी सहूलियतें मांग रहे थे। इतना ही नहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे उसके क्षेत्र इसलिए भी उबल रहे हैं, क्योंकि 2019 में कश्मीर की सांविधानिक स्थिति में किए गए बदलाव के बाद यहाँ के लोग अपने अधिकारों को लेकर ठगा महसूस कर रहे हैं।
इन तमाम विद्रोहों की मूल वजह पाकिस्तानी हुकूमरानों की गलत नीतियां और जनता की उपेक्षा है, जिसने अब देश को अंदरूनी बगावत के कगार पर ला खड़ा किया है।

नेता और नेतागिरि से जुड़ी खबरों को लिखने का एक दशक से अधिक का अनुभव है। गांव-गिरांव की छोटी से छोटी खबर के साथ-साथ देश की बड़ी राजनीतिक खबर पर पैनी नजर रखने का शौक है। अखबार के बाद डिडिटल मीडिया का अनुभव और अधिक रास आ रहा है। यहां लोगों के दर्द के साथ अपने दिल की बात लिखने में मजा आता है। आपके हर सुझाव का हमेशा आकांक्षी…



