
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ अमेरिका यात्रा के दौरान भारत में रह रहे सिखों को लेकर दिए गए कथित बयान के मामले में लंबित पुनरीक्षण याचिका पर बुधवार को बहस पूरी हो गई। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) एमपी-एमएलए नीरज कुमार त्रिपाठी ने बहस के बाद पत्रावली सुरक्षित करते हुए आदेश के लिए 17 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है।
यह मामला आशापुर निवासी पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्र द्वारा दायर प्रार्थना पत्र से जुड़ा है, जिसे उन्होंने वकील अलख नारायण राय के माध्यम से 26 सितंबर 2024 को अदालत में प्रस्तुत किया था। इसमें राहुल गांधी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अमेरिका में सिख समुदाय को लेकर ऐसा बयान दिया जो देश की एकता और सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है।
28 नवंबर 2024 को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ नागेश्वर मिश्र ने जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) यजुवेंद्र विक्रम सिंह ने 21 जुलाई 2025 को पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए मामले की फिर से सुनवाई का आदेश दिया।
हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
इस आदेश से असंतुष्ट राहुल गांधी ने 26 अगस्त 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने 26 सितंबर 2025 को उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिससे निचली अदालत में लंबित प्रार्थना पत्र पर फिर से सुनवाई का रास्ता साफ हुआ।

गंभीर आरोप और बहस का निष्कर्ष
बुधवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील अलख नारायण राय ने राहुल गांधी के बयान को देश में गृह युद्ध भड़काने की साजिश करार दिया। उन्होंने अदालत से मांग की कि इस मामले में गंभीरता से विचार किया जाए और उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।
बहस पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रखते हुए 17 अक्टूबर को फैसला सुनाने की तिथि तय की है। अब सभी की निगाहें उस दिन के निर्णय पर टिकी हैं, जो इस राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में अगला मोड़ तय करेगा।

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