
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा में कथित पेपर लीक के मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई पूरी हो गई। मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस महत्वपूर्ण मामले में सभी पक्षों की विस्तृत बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब राज्य के हजारों अभ्यर्थियों की निगाहें मंगलवार को आने वाले अदालत के निर्णय पर टिकी हुई हैं।

लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य का सवाल
जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा राज्य में लगभग दो हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए 21 और 22 सितंबर 2024 को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में राज्यभर के 823 केंद्रों पर 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आयोग ने 5 दिसंबर 2024 को 2,145 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट भी किया था।
हालांकि, पेपर लीक के आरोपों के कारण राजेश कुमार एवं अन्य ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की, जिसमें सीबीआई जांच की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को परिणाम प्रकाशित करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिससे चयन प्रक्रिया फिलहाल ठप है। अदालत का यह निर्णय ही तय करेगा कि इस मामले में सीबीआई जांच होगी या आयोग को परिणाम जारी करने की अनुमति मिलेगी, जिससे राज्य के लाखों शिक्षित युवाओं का भविष्य जुड़ा हुआ है।
अदालत में हुई विस्तृत बहस
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, विभिन्न पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं—-
-राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि अपराध अनुसंधान विभाग (CID) की जांच में अब तक पेपर लीक का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है।
-जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजॉय पिपरवाल पेश हुए, जिन्होंने भी परीक्षा में किसी भी तरह की लीक की घटना से इनकार किया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने अपनी दलीलें दीं। उन्होंने प्रश्नपत्रों की पुनरावृत्ति, कई परीक्षा केंद्रों के बाहर के वीडियो फुटेज और अन्य तथ्यात्मक साक्ष्यों के आधार पर अपनी मांग दोहराई कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच अनिवार्य है ताकि सच्चाई सामने आ सके। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद, खंडपीठ ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
आज का दिन महत्वपूर्ण
जेएसएससी-सीजीएल पेपर लीक मामला झारखंड की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है। इस परीक्षा से राज्य में योग्य उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन पेपर लीक के आरोपों ने पूरी प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जहां राज्य सरकार और आयोग प्रत्यक्ष सबूत न मिलने का दावा कर रहे हैं, वहीं अभ्यर्थी और याचिकाकर्ता निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग कर रहे हैं। मंगलवार को आने वाला झारखंड हाईकोर्ट का फैसला राज्य के परीक्षा सुधारों और चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए दूरगामी परिणाम वाला साबित होगा। सभी की निगाहें अब अदालत के निर्णय पर टिकी हैं जो इस गतिरोध को खत्म कर सकता है।

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