
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ चुनाव (JNUSU) के लिए मंगलवार को मतदान संपन्न हो गया। यह चुनाव केवल छात्रों के नेतृत्व का चयन नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय परिसर में हावी विचारधाराओं की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है। उत्साह और ऊर्जा के बीच, विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्कूल व केंद्र के छात्रों ने बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया।
मतदान प्रतिशत: पिछले वर्ष से मामूली कमी
इस वर्ष के जेएनयूएसयू चुनाव में कुल 67 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष के 70 प्रतिशत के आंकड़े से तीन प्रतिशत कम है। हालांकि, यह प्रतिशत अभी भी विश्वविद्यालय चुनावों के लिए काफी उत्साहजनक माना जाता है। मतदान दो सत्रों में संपन्न हुआ—सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक, और फिर दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक। इस दौरान छात्रों की लंबी कतारें विभिन्न मतदान केंद्रों (कुल 8 केंद्र) पर दिखीं।

चार पदों के लिए त्रिकोणीय मुकाबला
सोमवार को हुए मतदान के साथ ही चार केंद्रीय पदों—अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव—के लिए कुल 20 उम्मीदवारों के साथ ही 18 केंद्रों से 111 काउंसलर पद के प्रत्याशियों का भाग्य मतपेटिका में बंद हो गया है। चुनाव के परिणाम 6 नवंबर को जारी होंगे।
अध्यक्ष पद की दौड़ में मुख्य मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है:
वाम संगठन मोर्चा: अदिति मिश्रा (आइसा, एसएफआई और डीएसएफ की संयुक्त उम्मीदवार)
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP): विकास पटेल
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI): विकाश बिश्नोई
अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में राज रतन राजोरिया (बाप्सा) और शिर्षवा इंदु (दिशा) भी मैदान में हैं, जो मुकाबले को और रोचक बना रहे हैं।
वाम मोर्चा की एकता और एबीवीपी की चुनौती
इस बार के चुनाव का सबसे बड़ा समीकरण वाम संगठनों की संयुक्त शक्ति है। लंबे समय बाद, एसएफआई (SFI), आइसा (AISA) व डीएसएफ (DSF) जैसे वाम संगठन संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका नेतृत्व अदिति मिश्रा कर रही हैं। वामदलों ने उपाध्यक्ष के लिए कीझाकूट गोपिका बाबू, सचिव पद पर सुनील यादव व संयुक्त सचिव के लिए दानिश अली को मैदान में उतारा है।
इसके सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। विकास पटेल (अध्यक्ष) के अलावा, एबीवीपी ने उपाध्यक्ष पद पर तान्या कुमारी, महासचिव पद के लिए राजेश्वर कांत दुबे व संयुक्त सचिव पद के लिए अनुज को मैदान में उतारा है। एबीवीपी इस चुनाव को संघर्ष बनाम समाधान की बहस के रूप में प्रस्तुत कर रही है।
छात्रों से जुड़े मुख्य मुद्दे
छात्र संगठनों ने बीते कई दिनों से कैंपस में जोरदार बहसों और जनसंपर्क अभियानों के माध्यम से छात्रों से संवाद स्थापित किया। इस चुनाव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही, छात्रों से जुड़े स्थानीय मुद्दे हावी रहे:
अभाविप के मुद्दे: शोधार्थियों की फेलोशिप का समय पर वितरण, हॉस्टल आवंटन में पारदर्शिता, वाई-फाई सुविधा का विस्तार, और अकादमिक वातावरण का सुदृढ़ीकरण।
वाम संगठनों के मुद्दे: समानता और समावेशी जेएनयू के लिए संघर्ष, फीस वृद्धि और निजीकरण का विरोध, तथा प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करना।
अदिति मिश्रा ने समानता और समावेशी जेएनयू के लिए संघर्ष जारी रखने का वादा किया, जबकि विकास पटेल ने छात्रों से जवाबदेही और समाधान आधारित राजनीति का वादा किया। एबीवीपी का दावा है कि अन्य विश्वविद्यालयों (जैसे डीयू, पटना विवि) में अभाविप के प्रति छात्रों का समर्थन तेजी से बढ़ा है, जो वैचारिक परिवर्तन की लहर का प्रतीक है।
इस बार जेएनयू छात्र संघ चुनाव कमेटी की ओर से एक ऑफिशियल वेबसाइट की जानकारी दी गई है, जिसके जरिए छात्र लाइव रिजल्ट और अन्य आधिकारिक सूचनाएं हासिल कर सकेंगे। 6 नवंबर को पता चलेगा कि जेएनयू के छात्रों ने किस विचारधारा पर अपना भरोसा जताया है।

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