
समाजवादी पार्टी (सपा) के दिग्गज नेता और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान ने शुक्रवार को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात की। इस हाई-प्रोफाइल मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए आजम खान ने जहां राजनीतिक चर्चा की पुष्टि की, वहीं बिहार के मौजूदा राजनीतिक माहौल पर तल्ख़ टिप्पणी की। उन्होंने खुद के साथ हुए ‘ऐतिहासिक अन्याय’ का जिक्र करते हुए भावुक अंदाज़ में न्याय की उम्मीद जताई और राजनीतिक व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत पर बल दिया।

अखिलेश से हुई ‘पॉलिटिकल टॉक’
अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद पत्रकारों ने जब आजम खान से बातचीत का ब्यौरा पूछा, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि जब राजनीति में काम करने वाले दो बड़े नेता मिलते हैं, तो चर्चा स्वाभाविक रूप से राजनीतिक ही होती है। आजम खान की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों और पार्टी की रणनीतियों को लेकर लगातार मंथन चल रहा है। दोनों नेताओं के बीच किन विशिष्ट राजनीतिक मुद्दों पर बात हुई, इसका खुलासा तो आजम खान ने नहीं किया, लेकिन यह माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर की एकजुटता और भविष्य की चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई होगी।
बिहार पर तीखा हमला: ‘जंगलराज’ में नहीं जाना चाहता
बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर आजम खान ने बेहद तल्ख़ प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा बिहार जाने की है, लेकिन वह ‘असुरक्षित’ माहौल और ‘जंगलराज’ में नहीं जाना चाहते।
उन्होंने वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि “बिहार में बादशाह से लेकर वजीरों तक कह रहे हैं कि वहां जंगलराज है।” एक पूरे प्रदेश को ‘जंगल’ की संज्ञा देने को उन्होंने ‘असभ्य बात’ बताया।
बिहार के कथित ‘जंगलराज’ में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए आजम खान ने एक चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा, “उस जंगलराज में अगर मैं अकेला जाऊंगा तो आपने देखा है कि वहां पर हत्या किस तरह हुई है। मुझे जबरदस्ती रेल की पटरी पर अपना सिर नहीं रखना है।” उनका यह बयान बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है और उनकी व्यक्तिगत असुरक्षा की भावना को दर्शाता है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस बार लोग बिहार में ‘ऐतिहासिक बदलाव’ की बात कर रहे हैं।
‘मेरे अंजाम से सबक लें लोग’
पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में आजम खान ने भावनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि “सभी लोगों को मुझसे सबक लेना चाहिए और मेरे अंजाम से सीख लेना चाहिए।” उनका यह बयान उनके लंबे राजनीतिक करियर और हाल के वर्षों में उनके खिलाफ हुई कानूनी और राजनीतिक कार्रवाई के संदर्भ में आया है।
उन्होंने बेहद भावुक अंदाज में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उनके साथ हुए “ऐतिहासिक अन्यायों” के बावजूद, इस धरती पर अभी भी कुछ लोग ज़िंदा हैं और रहेंगे जिनकी “सहनशक्ति पत्थर या पहाड़ से भी ज़्यादा है।” आजम खान ने संतोष व्यक्त किया कि जो लोग उन्हें पहले गलत समझते थे, वे “आज धीरे-धीरे सच्चाई को पहचानने लगे हैं।”
अदालतों से न्याय की उम्मीद और राजनीतिक बदलाव की मांग
कानूनी मोर्चे पर अपनी लड़ाई जारी रखते हुए आजम खान ने कहा कि उनकी उम्मीद अदालतों से इंसाफ मिलने की है। उन्होंने अपने ऊपर की गई कार्रवाई का उल्लेख करते हुए बताया कि “जितनी एजेंसियां हैं, सबने मेरे घर में छापा मारा था।”
अंत में, उन्होंने एक बार फिर राजनीतिक व्यवस्था में बड़े और मूलभूत बदलाव की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उनकी यह मांग उनके अपने अनुभवों, कानूनी जटिलताओं और बिहार जैसे राज्यों की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था पर की गई उनकी कड़ी टिप्पणियों को एक साथ जोड़ती है।
अखिलेश यादव और आजम खान की इस मुलाकात ने न सिर्फ सपा के भीतर की एकजुटता को दिखाया है, बल्कि आजम खान के बयान ने बिहार और देश की समग्र राजनीतिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन पर आने वाले दिनों में और भी चर्चा होने की संभावना है।

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