
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में वाम गठबंधन से नवनिर्वाचित अध्यक्ष अदिति मिश्रा की जीत ने एक बार फिर स्टूडेंट पॉलिटिक्स में सक्रिय, ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के महत्व को रेखांकित किया है। बनारस के करौंदी की रहने वाली अदिति की राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता की यात्रा की शुरुआत बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) परिसर और स्थानीय सामाजिक संघर्षों से हुई थी।

बीएचयू में संघर्ष की शुरुआत
बीएचयू के महिला महाविद्यालय से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन करने वाली अदिति मिश्रा ने छात्र आंदोलनों में अपनी सक्रिय भागीदारी के लिए जानी जाती रही हैं। सितंबर 2017 में विश्वविद्यालय की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के खिलाफ हुए ऐतिहासिक छात्र आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी। उस समय विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पीड़ित छात्रा की बात न सुनने के मनमाने रवैये के कारण छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो उठा था, जिसके कारण सिंहद्वार को बंद करना पड़ा और पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र-छात्राएं घायल हुए थे। अदिति ने बताया कि छात्राओं की सुरक्षा में कमजोरी और प्रशासन का अड़ियल रुख विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण था।
पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में नेतृत्व
2018 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, अदिति ने पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से साउथ एशियन स्टडीज में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। यहां भी उनकी सक्रियता जारी रही। उन्होंने हिंदुत्व और भगवाकरण के विरोध में छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया। 2019 में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रशासनिक भवन को बंद कराना और 2020 में जरूरतमंद और पिछड़े वर्ग के छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद करने में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
अकादमिक और राजनीतिक लक्ष्य
वर्तमान में, अदिति जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं। उनके पिता संजय मिश्र फौजी हैं और मां मधुबाला मिश्रा गृहिणी हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में बचपन और स्कूली शिक्षा पूरी करने वाली अदिति का लक्ष्य स्पष्ट है। वह आगे चलकर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर राजनीति विज्ञान पढ़ाना चाहती हैं। इसके साथ ही, उनका कहना है कि समाज के पिछड़े और वंचितों की लड़ाई वह हमेशा लड़ती रहेंगी।
बीएचयू में उनकी प्रोफेसर वैशाली रघुवंशी ने कहा कि अदिति ने अपनी जीत से असहमति, समानता, सामाजिक न्याय की विचारधारा को एक नई धार दी है। उनकी दोस्त शिवानी पांडेय बताती हैं कि अदिति स्वतंत्र सोच और नेतृत्व के गुणों वाली लड़की हैं।
रचनाशील और सक्रिय व्यक्तित्व
पढ़ाई और एक्टिविज्म के साथ-साथ अदिति की रुचि रचनाशील कार्यों में भी है। महिला महाविद्यालय के वार्षिक समारोह ‘मंथन’ में पंजाब की अमर प्रेमकथा ‘हीर-रांझा’ पर अदिति के लिखे नाटक का मंचन हुआ था, जिसे दूसरा पुरस्कार मिला और सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘स्पंदन’ में भी खूब सराहना मिली थी। नाटक में ज्यादातर संवाद उर्दू में थे, जो दर्शकों को काफी पसंद आया था।
JNU छात्रसंघ चुनाव 2025 में उनकी जीत, शिक्षा और सामाजिक संघर्ष के बीच संतुलन साधने वाली एक नई पीढ़ी के नेतृत्व का प्रतीक है।

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