
SIR का विरोध (कांसेप्ट फोटो)
पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर एक बड़ा कानूनी संग्राम शुरू हो गया है। कांग्रेस पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई ने चुनाव आयोग के इस आदेश को चुनौती देते हुए देश के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) का रुख किया है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी की तरफ से यह मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत के समक्ष उठाया गया, जो पहले से ही बिहार और तमिलनाडु में एसआईआर से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पश्चिम बंगाल से जुड़े इस केस को भी बिहार और तमिलनाडु के एसआईआर मामले के साथ मंगलवार को सूचीबद्ध किया जाए ताकि एक साथ सुनवाई हो सके।
बिहार-तमिलनाडु मामले के साथ सूचीबद्ध करने की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष दलील पेश करते हुए कहा कि बिहार का एसआईआर मामला पहले से ही मंगलवार को सूचीबद्ध है। इसलिए, पश्चिम बंगाल के मामले को भी इसके साथ जोड़ा जाना चाहिए। कांग्रेस का यह कदम एक समेकित कानूनी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसके तहत वे देश के अलग-अलग हिस्सों में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया की वैधानिकता पर एक व्यापक न्यायिक राय चाहते हैं। हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मुख्य न्यायाधीश को तय करना है कि पश्चिम बंगाल का मामला भी उनकी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा या नहीं।
एसआईआर प्रक्रिया में खामियों का दावा
कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे की वजह बताते हुए दावा किया है कि “लोग एसआईआर प्रक्रिया में खामियों का हवाला देते हुए पार्टी से संपर्क कर रहे हैं।” याचिकाकर्ता ने संकेत दिया कि पुनरीक्षण (Revision) की इस प्रक्रिया में कुछ ऐसी तकनीकी या प्रक्रियात्मक त्रुटियाँ हैं, जिनके कारण मतदाताओं के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। इन कथित खामियों को ही आधार बनाकर पार्टी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। चुनाव आयोग द्वारा की जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूचियों को त्रुटिहीन बनाना होता है, लेकिन राजनीतिक दल अक्सर इसकी समय सीमा और कार्यान्वयन की पद्धति पर सवाल उठाते रहे हैं।

12 राज्यों में एसआईआर पर घमासान
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल एसआईआर को चुनौती देने वाला एकमात्र राज्य नहीं है। तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) पार्टी पहले ही एसआईआर को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुकी है। सबसे पहले, चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर कराया था, जिसके निर्देश जून 2025 में दिए गए थे। बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में उससे जुड़ी कई याचिकाएं लंबित थीं, और उसके बाद ही बिहार में चुनावों की घोषणा की गई। बिहार के बाद, चुनाव आयोग ने 27 अक्टूबर को दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर कराने की घोषणा की, और यह प्रक्रिया एक नवंबर से शुरू हो चुकी है।
कानूनी लड़ाई और चुनाव की तैयारी
मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर चल रही यह कानूनी लड़ाई, चुनाव आयोग के अधिकारों और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की उसकी जिम्मेदारी के बीच के जटिल संतुलन को दर्शाती है। राजनीतिक दलों का मानना है कि एसआईआर की प्रक्रिया में गड़बड़ी या जल्दबाजी से वोटों में हेरफेर हो सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही यह तय करेगा कि इन राज्यों में चल रही एसआईआर प्रक्रिया पर कोई रोक लगती है या नहीं। इस बीच, पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी कानूनी मोर्चे पर सक्रिय होकर आगामी चुनावों के लिए अपनी तैयारी और राजनीतिक स्टैंड को मजबूती देने की कोशिश कर रही है।

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