
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अबू आसिम आजमी ने पुणे रेव पार्टी में एनसीपी (एसपी) नेता एकनाथ खडसे के दामाद की गिरफ्तारी के मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “मुझे अफसोस है कि आज राजनीति में लोगों का चरित्र गिरता जा रहा है।” आजमी ने जोर देते हुए कहा कि राजनीति में बेईमानी और भ्रष्टाचार के चलते जनता अब नेताओं की मौजूदगी तक की इज्जत नहीं करती।
“साफ छवि वालों को मिलना चाहिए टिकट”
अबू आजमी ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव में उन्हीं नेताओं को टिकट दिया जाना चाहिए, जिनकी छवि साफ-सुथरी हो। उन्होंने कहा कि राजनीति में गिरे हुए चरित्र वालों के प्रवेश से लोकतंत्र की गरिमा को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे उम्मीदवारों के चयन में ईमानदारी और नीतिगत मजबूती को प्राथमिकता दें।
ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में चर्चा की मांग
पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अबू आजमी ने संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की है। उन्होंने कहा, “140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि जब पर्यटक स्थल पहलगाम पर आतंकी हमला हुआ, तो सुरक्षा कहां थी?” उन्होंने यह भी पूछा कि ऐसी संवेदनशील जगह पर हमले के दिन सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं थे। साथ ही कहा कि देश की सुरक्षा के सवाल पर सभी दलों को एकजुट होना चाहिए।
चुनावी योजनाओं पर भी उठाए सवाल
अबू आजमी ने सरकार की ‘लाडकी बहीण योजना’ को भी चुनावी स्टंट करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे ही चुनाव आता है, सरकार नई योजनाएं लाकर लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करती है। आजमी ने कहा, “आज वोट के बदले लोग हजार रुपये तक दे रहे हैं। वोट खरीदने की यह राजनीति लोकतंत्र को खोखला कर रही है।” उन्होंने दावा किया कि सरकार ने भी इस योजना के जरिए रुपए बांटने का काम किया है, जो गलत परंपरा की ओर इशारा करता है।
भारत-पाक क्रिकेट मैच पर विरोध
अबू आजमी ने एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब एक ओर पाकिस्तान के आतंकी भारत में हमला करते हैं, वहीं दूसरी ओर हम उसी देश के साथ क्रिकेट मैच खेलते हैं।” आजमी ने यह भी जोड़ा कि जनता को यह जानने का हक है कि सरकार के अंदर क्या रणनीति चल रही है, और क्यों पाकिस्तान को इतने गंभीर हमलों के बावजूद खेल के मंच पर जगह दी जा रही है।
अबू आसिम आजमी की टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि वे राजनीति में नैतिकता और पारदर्शिता के पक्षधर हैं। उनके बयानों ने न सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, लोकतंत्र और भारत-पाक संबंधों पर भी नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि सरकार और विपक्ष इन सवालों का क्या जवाब देते हैं।

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