
एआईएमआईएम (AIMIM) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने आरएसएस और भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारत की आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं निभाई। उन्होंने कहा कि जब हमारे लोग अंग्रेजों से लड़ रहे थे और जेलों में जा रहे थे, तब आरएसएस के लोग चुप थे और माफी मांग रहे थे।
तिरंगे के सम्मान पर सवाल
वारिस पठान ने दावा किया कि आरएसएस ने भारत के तिरंगे का सम्मान नहीं किया। उन्होंने कहा, “52 साल तक नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में तिरंगा नहीं फहराया गया। अब वही लोग हमें राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है और उनके अधिकारों का हनन करता रहा है।
मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप
पठान ने आरोप लगाया कि भाजपा मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वालों को संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा, “आपके लोग हमारे पैगंबर का अपमान करते हैं, मुसलमानों को बदनाम करते हैं, लेकिन भाजपा सरकार उन्हें रोकती नहीं है। उनकी भाषा पर कोई नियंत्रण नहीं है।”
वक्फ संपत्तियों और बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल
उन्होंने वक्फ संपत्तियों के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ की जमीनें छीनकर अपने उद्योगपति मित्रों को देना चाहती है। मुसलमानों की बस्तियों को बिना नोटिस के बुलडोजर से गिराया जा रहा है, और सरकार मौन है।
‘सबका साथ, सबका विकास’ को बताया खोखला नारा
वारिस पठान ने प्रधानमंत्री के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ को खोखला बताया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है कि संसद में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा ने कितने मुसलमानों को टिकट दिया? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने मुसलमानों के राजनीतिक सशक्तिकरण को खत्म कर दिया है।
धर्म की स्वतंत्रता पर भी सवाल
संविधान का हवाला देते हुए वारिस पठान ने कहा कि हर नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन सरकार इस अधिकार का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता देने के बजाय उन पर संदेह की निगाह डाली जा रही है।
विकास और रोजगार जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप
पठान ने भाजपा पर विकास और रोजगार जैसे असली मुद्दों से ध्यान हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 770 किसानों ने आत्महत्या की, लेकिन सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल धार्मिक ध्रुवीकरण करके राजनीति कर रही है।
प्रचार-आधारित फिल्मों पर नाराजगी
वारिस पठान ने धार्मिक नफरत फैलाने वाली फिल्मों पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसी फिल्में एक समुदाय को बदनाम करती हैं। उन्होंने कहा, “कन्हैया लाल की हत्या की हर मुसलमान ने निंदा की थी, लेकिन नफरत फैलाने वाले कंटेंट से मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसी फिल्में बननी चाहिए जो मोहब्बत और सौहार्द का संदेश दें।”
वारिस पठान के इन बयानों से एक बार फिर धर्म और राजनीति के बीच बहस तेज हो गई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह धार्मिक नफरत और भेदभाव को रोके, और वास्तविक मुद्दों—जैसे शिक्षा, रोजगार, किसानों की समस्याएं—की ओर ध्यान दे।

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