
देश में आगामी चुनावों की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में व्यापक बदलाव के फैसले पर सियासी घमासान तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को आयोग की नीयत पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।
अखिलेश ने कहा कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष रहकर काम करना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक पार्टी के इशारे पर। उन्होंने कहा, “जब चुनाव सिर पर है तो लोग अपना जन्म प्रमाण पत्र कहां से ढूंढेंगे? इतने कम समय में आठ करोड़ मतदाताओं की नई सूची तैयार करना बहुत बड़ा कदम है। अगर यह इतना ज़रूरी था तो इसे एक साल या छह महीने पहले क्यों नहीं किया गया?”
उन्होंने इस फैसले को एक “सोची-समझी रणनीति” बताते हुए आरोप लगाया कि यह सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर लिया गया है। अखिलेश के मुताबिक, अंतिम समय में की जा रही यह कवायद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और मतदाता भ्रम की स्थिति में पड़ सकते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सियासी गलियारों में इस बयान से हलचल मच गई है। विपक्षी दल जहां इस निर्णय को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सत्ताधारी पक्ष से भी जल्द प्रतिक्रिया आने की संभावना है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब देश के कई राज्यों में चुनाव की तैयारियां ज़ोरों पर हैं और राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटे हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है।

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