
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में तालाबों, जलाशयों और सार्वजनिक भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकलपीठ ने राज्य सरकार को सभी ग्राम पंचायतों में जलाशयों से हर कीमत पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरतने वाले ग्राम प्रधानों को हटाने की कार्रवाई की जा सकती है।
कोर्ट ने यह आदेश मीरजापुर-चुनार के गांव चौंका निवासी मनोज कुमार सिंह की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा, “जल ही जीवन है, इसलिए हर कीमत पर जल बचाएं। जलाशयों पर किसी प्रकार के अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
90 दिन में पूरी करें धारा 67 की कार्रवाई
हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी तहसीलदारों को राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत लंबित अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को निर्धारित 90 दिन के भीतर पूरा करने का सख्त आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल आदेश ही नहीं देना है, बल्कि अतिक्रमण हटाकर जलाशयों और सार्वजनिक भूमि को उनके मूल स्वरूप में बहाल भी कराना है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ अतिक्रमणकारियों से हर्जाना वसूले, उन पर अर्थ दंड आरोपित करे और उन्हें दंडित भी करे। आदेश की अवहेलना को सिविल अवमानना माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी याचिकाएं
अदालत ने अतिक्रमण हटाने की मांग में लगातार आ रही याचिकाओं पर दुख व्यक्त किया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हींचलाल तिवारी केस (2001) का हवाला दिया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने देश में तालाबों, जलाशयों और जलस्रोतों को संरक्षित करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अतिक्रमण हटाने की मांग में आए दिन याचिकाएं आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जमीनी स्तर पर कार्रवाई में भारी लापरवाही बरती जा रही है।

लापरवाह प्रधानों को हटाने की मिलेगी छूट
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि ग्राम पंचायत की सार्वजनिक उपयोग की जमीन की संरक्षक भूमि प्रबंधन समिति होती है। इसलिए, जहां भी अतिक्रमण हो, उसका दायित्व है कि वह तुरंत इसकी सूचना तहसीलदार को दे।
अदालत ने कहा कि ग्राम प्रधान और लेखपाल की लापरवाही के कारण ही हाईकोर्ट में अतिक्रमण हटाने की मांग में बड़ी संख्या में याचिकाएं आ रही हैं। इसी को देखते हुए कोर्ट ने जिलाधिकारियों (DM) और उप जिलाधिकारियों (SDM) को यह छूट दी है कि वे लापरवाह ग्राम प्रधानों को हटाने की कार्रवाई भी कर सकते हैं।
आदेश का पालन अनिवार्य
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकलपीठ ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, आयुक्तों, जिलाधिकारियों, उप जिलाधिकारियों, तहसीलदारों, समिति के अध्यक्ष व सचिवों को अनुपालनार्थं भेजने का निर्देश दिया है।
कोर्ट का यह सख्त रुख जल संरक्षण और सार्वजनिक भूमि की सुरक्षा के प्रति सरकार और प्रशासन की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। आदेश का पालन न होने पर संबंधित अधिकारियों पर सिविल अवमानना की कार्रवाई होगी।

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