
केंद्रीय मंत्री अमित शाह आज करेंगे 'सहकारिता कुंभ 2025' का उद्घाटन (डिजाइन फोटो)
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शहरी सहकारी ऋण क्षेत्र पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सहकारी कुंभ’ (कॉपकुंभ 2025) का उद्घाटन किया। दो दिवसीय यह कार्यक्रम सहकारी बैंकिंग परिदृश्य में नवाचार और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है, और इसे भारत में सहकारी आंदोलन को एक नई दिशा देने वाला एक परिवर्तनकारी पहल माना जा रहा है।

‘डिजिटाइजिंग ड्रीम्स-एम्पावरिंग कम्युनिटीज’ की थीम के साथ, सहकारी कुंभ 2025 का मुख्य लक्ष्य वित्तीय समावेशन के लिए सहकारी नींव को मजबूत करना है। यह सम्मेलन राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक और ऋण समितियों के महासंघ (एनयूसीएफडीसी) द्वारा भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के साथ मिलकर आयोजित किया जा रहा है। यह सहयोगात्मक मंच भारत और विदेशों के प्रमुख नीति निर्माताओं, नियामकों, सहकारी नेताओं, वित्तीय संस्थानों और टेक्नोलॉजी इनोवेटर्स को एक साथ ला रहा है ताकि सहकारी क्षेत्र के भविष्य पर विचार-विमर्श किया जा सके।
डिजिटल परिवर्तन और समावेशी विकास पर फोकस
उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने देश के समावेशी विकास में शहरी सहकारी ऋण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सहकारी क्षेत्र के लिए डिजिटल परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि ये संस्थान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अंतिम छोर तक के व्यक्ति को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ सकें। उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यमों को अपनाने से सहकारी बैंक न केवल अपनी दक्षता बढ़ा सकते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को आकर्षित करके अपने संचालन को भी मजबूत कर सकते हैं।
एनयूसीएफडीसी के अध्यक्ष लक्ष्मी दास ने सम्मेलन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ‘सहकारी कुंभ 2025’ में डिजिटल परिवर्तन, शासन सुधार, और सहकारी क्षेत्र में महिला और युवा नेतृत्व के सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सम्मेलन संवाद, नवाचार और साझा दृष्टिकोण के माध्यम से समुदायों को सशक्त बनाने का एक प्रयास है। उनका मानना है कि यह सुनिश्चित करता है कि सहकारी मॉडल भारत की समावेशी विकास गाथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहे।
अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और वैश्विक अनुरूपता
इस सम्मेलन की एक मुख्य विशेषता अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी है, जिसमें विश्व क्रेडिट यूनियन परिषद और ग्रीनस्टोन फार्म क्रेडिट सर्विसेज जैसे वैश्विक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इन अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की उपस्थिति से भारतीय सहकारी नेताओं को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों से सीखने का अवसर मिलेगा, जो सहकारी बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढालने में मदद करेगा।
सहकारी कुंभ 2025 का आयोजन संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ के अनुरूप भी है। यह वैश्विक सहकारी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है और आर्थिक सशक्तिकरण, डिजिटल इनोवेशन और समुदाय-संचालित विकास को आगे बढ़ाने में सहकारी वित्त की अपरिहार्य भूमिका को दर्शाता है। यह सम्मेलन इस बात का भी संकेत देता है कि भारत वैश्विक सहकारी मंच पर एक मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है।
भविष्य की रणनीति और प्रभाव
यह दो दिवसीय कार्यक्रम शहरी सहकारी ऋण क्षेत्र के लिए रणनीतिक रोडमैप तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा। चर्चाओं का फोकस साइबर सुरक्षा, नियामक अनुपालन और सदस्य-केंद्रित सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर रहेगा।
सहकारी कुंभ 2025 से यह उम्मीद की जाती है कि यह भारत के शहरी सहकारी ऋण संस्थानों के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी साबित होगा। यह आयोजन कॉपरेटिव इकोसिस्टम के सभी प्रमुख हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करता है, जिससे ये संस्थान जमीनी स्तर पर वित्तीय समावेशन और सामाजिक प्रगति के इंजन के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत कर सकें।
निष्कर्ष के तौर पर, ‘सहकारी कुंभ 2025’ सिर्फ एक सम्मेलन नहीं है, बल्कि भारत के सहकारी आंदोलन के लिए डिजिटल युग में प्रवेश करने और देश के आर्थिक विकास में अपनी भागीदारी को बढ़ाने का एक मंच है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व और सहकारिता मंत्रालय के समर्थन से, यह क्षेत्र एक मजबूत और आधुनिक बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र बनने की राह पर अग्रसर है, जो ‘सबका साथ, सबका विकास’ के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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