
केंद्र सरकार द्वारा आशा (ASHA) कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि ₹2,000 से बढ़ाकर ₹3,500 करने के निर्णय के बाद केरल में लंबे समय से आंदोलन कर रही आशा कार्यकर्ताओं ने आभार जताया है। हालांकि, उन्होंने साफ कहा है कि जब तक राज्य सरकार समान रूप से सहयोग नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
168वें दिन भी डटी रहीं कार्यकर्ता
केरल के राज्य सचिवालय के बाहर चल रहा आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन शनिवार को 168वें दिन में प्रवेश कर गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं आशा कार्यकर्ता मिनी ने कहा:-“हम केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन अब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को जवाब देना होगा। जब तक राज्य सरकार भी समान प्रोत्साहन नहीं देती, हम प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।”
संसद तक पहुंचाई गई आवाज
आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को राष्ट्रीय मंच पर भी उठाया। मिनी ने बताया कि उन्होंने दो बार संसद तक मार्च किया। इस दौरान भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के सांसदों ने उनका समर्थन किया और संसद में उनके मुद्दों को उठाया।
सेवा लाभ में भी वृद्धि
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने केरल के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन को सूचित किया कि 10 साल की सेवा पूरी करने वाली आशा कार्यकर्ताओं के लिए रिटायरमेंट लाभ को ₹20,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया गया है। इससे कार्यकर्ताओं में केंद्र सरकार के प्रति सकारात्मक भावना देखी जा रही है।
“राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए”
मिनी ने कहा कि केंद्र ने अपना कार्य पूरा कर दिया है, अब राज्य सरकार की बारी है। उन्होंने यह भी कहा:– “केरल सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि उसकी आर्थिक हालत खराब है। राज्य सरकार ही हमें अधिकांश जिम्मेदारियाँ सौंपती है, जिन्हें हम मेहनत से निभाते हैं। लेकिन हमारे अधिकार और मेहनत का उचित सम्मान नहीं हो रहा।”

राज्य सरकार से कई दौर की बातचीत निष्फल
आशा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने राज्य सरकार के साथ चार बार बातचीत की है, साथ ही राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज से भी विशेष बैठक की गई, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
मांगों की अनदेखी तो आंदोलन रहेगा जारी
कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि राज्य सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया, तो प्रदर्शन और भी तेज किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्यवाही चाहिए।
केंद्र सरकार की घोषणाओं ने आशा कार्यकर्ताओं को कुछ राहत दी है, लेकिन जब तक राज्य सरकार से समान सहयोग नहीं मिलता, केरल में आंदोलन की आग ठंडी नहीं पड़ने वाली। आशा कार्यकर्ताओं ने दिखा दिया है कि वे अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

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