
बहुविवाह निषेध विधेयक 2025 की मंजूरी की जानकारी देते सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (फाइल फोटो)
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। रविवार को लोक सेवा भवन में हुई कैबिनेट बैठक में ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025’ को मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य छठी अनुसूची क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में बहुविवाह की प्रथा को गैरकानूनी घोषित करना और पूरी तरह समाप्त करना है।
राज्य सरकार ने इस निर्णय को लैंगिक न्याय और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया है। यह कानून समाज को ऐसी प्रथाओं के अभिशाप से बचाने और राज्य में वैध और न्यायसंगत वैवाहिक संबंधों को बनाए रखने के लिए बनाया गया है।

बहुविवाह निषेध विधेयक के प्रमुख प्रावधान
इस विधेयक में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का जीवनसाथी जीवित है और उनका तलाक नहीं हुआ है या वे कानूनी रूप से अलग नहीं हुए हैं, तो वह व्यक्ति दूसरा विवाह नहीं कर सकता है। यह प्रावधान मौजूदा वैवाहिक संबंधों की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
विधेयक में एक और महत्वपूर्ण प्रावधान बहुविवाह से प्रभावित महिलाओं के लिए मुआवजा देने का है। यह उन महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रयास है, जो इस प्रथा के कारण पीड़ा झेलती हैं। यह कदम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनकी आर्थिक निर्भरता को कम करने की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सामाजिक समरसता और वैध वैवाहिक संबंधों को बल
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा लंबे समय से राज्य में बहुविवाह को समाप्त करने की दिशा में काम कर रहे थे। उनका मानना है कि यह प्रथा महिलाओं के गरिमापूर्ण जीवन के खिलाफ है और समाज में विषमता पैदा करती है।
इस कानून के लागू होने के बाद, असम उन राज्यों में शामिल हो जाएगा जो एकल विवाह के सिद्धांत को सख्ती से लागू करते हैं। यह कदम राज्य के कानूनी और सामाजिक ढांचे को मजबूत करेगा, जिससे पारिवारिक स्थिरता और वैवाहिक संबंधों में विश्वास बढ़ेगा। राज्य सरकार का मानना है कि यह विधेयक न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा, बल्कि सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देगा, जिससे समाज के सभी वर्गों के बीच समानता और न्याय स्थापित हो सके।
असम स्टार्टअप और नवाचार नीति 2025-30 को मंजूरी
बहुविवाह निषेध विधेयक के साथ-साथ, राज्य मंत्रिमंडल ने कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। इनमें से एक प्रमुख निर्णय ‘असम स्टार्टअप और नवाचार नीति 2025-30’ को मंजूरी देना है। इस नीति का महत्वाकांक्षी उद्देश्य अगले पाँच वर्षों में असम को भारत में एक अग्रणी स्टार्टअप केंद्र के रूप में स्थापित करना है। यह नीति राज्य के युवा उद्यमियों को नवाचार और उद्यमशीलता के लिए आवश्यक वातावरण प्रदान करेगी।
स्टार्टअप नीति में ₹397 करोड़ का वित्तीय प्रावधान
असम स्टार्टअप और नवाचार नीति 2025-30 के लिए कुल ₹397 करोड़ रुपये का बड़ा वित्तीय प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करता है।
इस नीति में कई प्रकार के वित्तपोषण साधन शामिल हैं, जैसे:
विचार अनुदान (Idea Grant): प्रारंभिक चरण के विचारों को समर्थन।
प्रोटोटाइप विकास सहायता (Prototype Development Support): उत्पादों को बाजार में लाने में मदद।
उद्यम पूंजी निधि (Venture Capital Fund): इसमें प्रति स्टार्टअप ₹10 करोड़ रुपये तक की बड़ी उद्यम पूंजी निधि भी शामिल है।
यह वित्तीय समर्थन राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और असम की अर्थव्यवस्था को एक नवाचार-आधारित विकास मिलेगा। कुल मिलाकर, असम मंत्रिमंडल ने ये निर्णय लेकर सामाजिक सुधार और आर्थिक विकास दोनों मोर्चों पर एक साथ काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है, जिससे राज्य के समग्र विकास की नींव मजबूत हो सकेगी।

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