
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के आगामी सत्र से पहले, जेल में बंद डोडा विधायक मेहराज मलिक के सत्र में शामिल होने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि अगर मलिक सत्र में भाग लेते हैं तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा, लेकिन उनका सत्र में शामिल होना अदालत या सरकार के निर्णय पर निर्भर करता है।
राथर ने मीडिया को संबोधित करते हुए साफ किया कि मलिक को कानूनी माध्यमों से उपस्थिति की अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा, “उन्हें अदालत का रुख करना होगा, या अगर सरकार उन्हें अनुमति देती है, तो उन्हें उपस्थित होना चाहिए। यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार या अदालत उन्हें अनुमति देती है या नहीं।”
मेहराज मलिक ने आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार के रूप में डोडा से 2024 का विधानसभा चुनाव जीता था और वह 90 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि हैं। मलिक को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। उन पर आरोप है कि उनकी गतिविधियाँ जिले में शांति और व्यवस्था के लिए हानिकारक थीं। PSA किसी व्यक्ति को बिना किसी न्यायिक हस्तक्षेप के अधिकतम दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है।
पीडीपी विधायक वहीद पारा का मामला विचाराधीन
विधानसभा अध्यक्ष ने पीडीपी विधायक वहीद पारा के मामले पर भी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने पुष्टि की कि उनके खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस अभी भी विचाराधीन है। राथर ने कहा, “पारा ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है और मामला विचाराधीन है।”

अध्यक्ष ने पारा पर पहले गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया था। पारा ने यह दावा किया था कि विधानसभा सचिवालय ने डोडा विधायक मेहराज मलिक के खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) को मंजूरी दे दी थी। राथर ने इसे सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया, “सचिवालय के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है। पीएसए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा लगाया जाता है।”
आगामी सत्र होगा छोटा
विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने आगामी विधानसभा सत्र की अवधि के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल द्वारा 23 अक्टूबर को बुलाया गया जम्मू-कश्मीर विधानसभा का यह सत्र छोटा होगा और जल्द ही सत्र का एक अनंतिम कैलेंडर जारी किया जाएगा।
राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सत्र में मलिक की उपस्थिति का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। विधायक बनने से पहले भी मलिक ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने यह आरोप लगाते हुए अपना समर्थन वापस ले लिया था कि सरकार मतदाताओं से किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है।
विधानसभा अध्यक्ष के बयान ने अब गेंद सरकार और न्यायपालिका के पाले में डाल दी है, जो यह तय करेंगे कि निर्वाचित प्रतिनिधि होने के बावजूद मेहराज मलिक सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाते हैं या नहीं।

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