
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड के बड़ा बास्को पहाड़ इलाके की एक तस्वीर साझा कर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
खाट पर मरीज ढोने की तस्वीर ने खोली पोल
मरांडी ने सोशल मीडिया पर साझा की गई तस्वीर में दिखाया कि आज भी राज्य के आदिवासी इलाकों में मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह तस्वीर झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था का सच बयां करती है और सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाती है।
मरांडी ने लिखा, “झारखंड को अलग राज्य बनाने का उद्देश्य आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा और विकास था। लेकिन आज भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उपेक्षा ने उनके सपनों को तोड़ दिया है।”
आदिवासी अधिकारों के सपनों पर फिरा पानी
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य की स्थापना के पीछे शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे बुनियादी अधिकारों को मजबूत करना मुख्य मकसद था। लेकिन आज हालात इतने खराब हैं कि केंद्र की तमाम योजनाओं के बावजूद राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ देश में एक संथाल आदिवासी महिला राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर आसीन है, वहीं दूसरी तरफ झारखंड के गांवों में लोग इलाज के लिए सड़कों और एंबुलेंस के इंतजार में दम तोड़ रहे हैं।
राजनीति से ऊपर उठकर समाधान की अपील
नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार और प्रशासन से अपील की कि वे राजनीति और सत्ता की महत्वाकांक्षा से ऊपर उठकर लोगों की असली समस्याओं को समझें। उन्होंने कहा कि दुर्गम इलाकों में सड़क और एंबुलेंस जैसी बुनियादी सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था जरूरी है, ताकि आदिवासी समाज को बार-बार ऐसी तकलीफ न झेलनी पड़े।
मरांडी ने कहा, “यह तस्वीर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर सकती है। यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि संवेदनशीलता दिखाने का है।”
जनता हकदार है बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की
बाबूलाल मरांडी ने जोर देकर कहा कि झारखंड की जनता बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और मूलभूत सुविधाओं की हकदार है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य के आदिवासी और गरीब तबकों को सम्मानजनक जीवन मिले। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई तो झारखंड की जनता के सपनों और अधिकारों को बार-बार ठगा जाता रहेगा।

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