
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और पाटन से विधायक भूपेश बघेल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 8 मई 2025 के फैसले को चुनौती देते हुए अंतरिम राहत की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। भूपेश बघेल ने अपने खिलाफ चल रही हाईकोर्ट की सुनवाई पर एकपक्षीय रोक लगाने की अपील की है।
विजय बघेल की याचिका बनी कानूनी चुनौती की वजह
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर यह मामला तब शुरू हुआ जब दुर्ग से भाजपा सांसद विजय बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके चुनाव को रद्द करने की मांग की। विजय बघेल का आरोप है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भूपेश बघेल ने आचार संहिता का उल्लंघन किया।
उन्होंने दावा किया कि नामांकन और प्रचार की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी भूपेश बघेल ने पाटन विधानसभा क्षेत्र में प्रचार किया। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसे याचिका में प्रमाण के तौर पर प्रस्तुत किया गया।
हाईकोर्ट ने खारिज की थी पूर्व सीएम की प्रारंभिक याचिका
8 मई को हाईकोर्ट ने इस मामले में भूपेश बघेल को झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव याचिका में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री मौजूद है और इसे इस स्तर पर खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का आदेश देते हुए साफ किया था कि मामले की विस्तृत जांच आवश्यक है।
राजनीतिक और कानूनी लड़ाई में नया मोड़
भूपेश बघेल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किए जाने के बाद यह मामला अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस पर निर्भर करेगा कि क्या हाईकोर्ट की कार्यवाही को रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी किया जाए। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का चुनाव रद्द करने की मांग नहीं, बल्कि चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और आचार संहिता के पालन की गंभीरता से भी जुड़ा हुआ है।
इस कानूनी लड़ाई के आगे के परिणाम ना केवल भूपेश बघेल की राजनीतिक स्थिति पर असर डाल सकते हैं, बल्कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में न्यायिक दृष्टिकोण को भी परिभाषित करेंगे।

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