
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका औपचारिक रूप से वापस ले ली। उन्होंने यह याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 8 मई के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें उनके खिलाफ चुनाव याचिका पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया गया था।
अंतरिम रोक की थी मांग
भूपेश बघेल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी कि हाईकोर्ट की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाई जाए क्योंकि उनका कहना था कि यह याचिका प्रारंभिक स्तर पर ही अस्वीकार्य घोषित की जानी चाहिए थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने न तो कार्यवाही पर रोक लगाई और न ही हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: दोनों पक्षों को मिले सुनवाई का अवसर
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भूपेश बघेल को यह स्वतंत्रता है कि वे हाईकोर्ट में याचिका की मेंटेनबिलिटी (स्वीकार्यता) को चुनौती दे सकते हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक हाईकोर्ट इस बिंदु पर कोई निर्णय नहीं करता, मामले के मेरिट (गुण-दोष) पर सुनवाई न की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के पूर्व आदेश में की गई कोई टिप्पणी बघेल की याचिका को प्रभावित नहीं करेगी।
विजय बघेल ने लगाए थे आचार संहिता उल्लंघन के आरोप
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब दुर्ग से भाजपा सांसद विजय बघेल ने विधानसभा चुनावों में आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए भूपेश बघेल का चुनाव रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि समय सीमा समाप्त होने के बाद भी पाटन विधानसभा क्षेत्र में प्रचार किया गया, जिसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
हाईकोर्ट ने कहा था, याचिका में है पर्याप्त सामग्री
8 मई को हाईकोर्ट ने भूपेश बघेल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि चुनाव याचिका में पर्याप्त सामग्री है और उसे प्रारंभिक चरण में खारिज नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने चुनाव याचिका पर सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था, जिसे बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मामला
यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मोड़ बनकर उभरा है। एक ओर भाजपा इसे चुनावी नैतिकता का मुद्दा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई मान रही है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि याचिका की स्वीकार्यता को लेकर क्या फैसला होता है।
भूपेश बघेल को फिलहाल राहत नहीं मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उन्हें यह मौका मिला है कि वे हाईकोर्ट में याचिका की वैधता को चुनौती दें। आने वाले दिनों में यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति में और भी गर्माहट ला सकता है।

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