
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के बाद एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा एक नई कहानी बयां कर रहा है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बार सहयोगियों के लिए रिकॉर्ड 41 सीटें छोड़ी हैं, जबकि दोनों प्रमुख दल 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
यह बंटवारा साबित करता है कि बिहार में बहुमत हासिल करने के लिए अब इन दोनों बड़ी पार्टियों की निर्भरता अपने सहयोगी दलों पर काफी बढ़ गई है। इससे पहले, इन दोनों पार्टियों ने कभी इतनी बड़ी संख्या में सीटें सहयोगियों के लिए नहीं छोड़ी थीं।
सीटों के बंटवारे में बड़ा बदलाव
जदयू और भाजपा का गठबंधन 2005 के बाद से बिहार में बेहद सफल रहा है। 2010 के विधानसभा चुनाव में तो दोनों ने मिलकर कुल 243 में से 206 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो एक रिकॉर्ड था। तब जदयू 141 और भाजपा 102 सीटों पर लड़ी थी।
हालांकि, 2020 के चुनाव में यह समीकरण बदला। तब जदयू 115 और भाजपा 110 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन दोनों को मिलकर सिर्फ 117 सीटें मिली थीं, जो बहुमत से पांच कम थी। एनडीए ने दो अन्य सहयोगियों (वीआईपी और हम) की मदद से 125 सीटें हासिल की थीं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जीत के लिए अब गठबंधन का विस्तार जरूरी है।
दल-बदल का खेल जारी: भाजपा में शामिल हुए विधायक
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दल-बदल का खेल जोरों पर है, और इसका फायदा मुख्य रूप से भाजपा को मिल रहा है। मोहनियां से राजद की निवर्तमान विधायक संगीता कुमारी और बिक्रम से कांग्रेस के निवर्तमान विधायक सिद्धार्थ सौरभ भाजपा में शामिल हो गए हैं।
इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सीतामढ़ी से जदयू के पूर्व सांसद सुनील कुमार पिंटू ने भी भाजपा में ‘घर वापसी’ की है। मुख्य आयकर आयुक्त रहे सुजीत कुमार भी भाजपा में शामिल हुए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने दावा किया है कि अगले एक-दो दिनों में राजद और कांग्रेस के आधा दर्जन और विधायक भाजपा में शामिल होंगे।

इंडिया गठबंधन में माले ने बांटे टिकट
एक तरफ एनडीए गठबंधन सीटों के बंटवारे और दल-बदल में आगे है, वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच टिकट बंटवारे में अभी भी देरी हो रही है। इस देरी के बीच, भाकपा माले ने अपने तीन प्रत्याशियों को पार्टी सिंबल वितरण करना शुरू कर दिया है।
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि घोसी विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक रामबली सिंह यादव को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया गया है। इसके अलावा, पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक संदीप सौरभ और डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से विधायक अजीत कुमार सिंह को भी पार्टी टिकट सौंप दिया गया है। भाकपा माले का यह कदम इंडिया गठबंधन के भीतर टिकट बंटवारे की सुस्त गति को दर्शाता है।

सहयोगी दलों का महत्व और आगे की रणनीति
2025 के चुनाव में जदयू और भाजपा का 101-101 सीटों पर लड़ना और सहयोगी दलों को 41 सीटें देना, बिहार की बदलती राजनीतिक गतिशीलता को दिखाता है। यह रणनीति न केवल गठबंधन को मजबूत करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि वोटों का बिखराव कम हो।
एनडीए अब अपने सहयोगी दलों (जीतन राम मांझी की ‘हम’ और चिराग पासवान की लोजपा रामविलास) के साथ मिलकर 2020 के प्रदर्शन को सुधारने की उम्मीद कर रहा है। वहीं, राजद और कांग्रेस के विधायकों का भाजपा में आना यह संकेत देता है कि राजनीतिक निष्ठाएं कमजोर पड़ रही हैं, जिससे चुनाव परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं।

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