
आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन के मंथन के बीच, चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के साथ भारतीय निर्वाचन आयोग की 16 सदस्यीय टीम ने बिहार का दो दिवसीय सघन दौरा किया। दौरे के दूसरे दिन रविवार को आयोग ने अपनी तैयारियों की समीक्षा की, जिसके बाद जल्द ही चुनावी तारीखों के ऐलान की उम्मीद बढ़ गई है।
आयोग की इस महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक के दौरान, राज्य के मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों ने एक अहम सुझाव दिया है। दलों ने सामूहिक रूप से अनुरोध किया है कि मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विधानसभा चुनाव छठ महापर्व के तुरंत बाद आयोजित किए जाएं और उन्हें यथासंभव कम चरणों में पूरा किया जाए।
कम चरणों में चुनाव की मांग:
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को पटना में आयोग की टीम से मुलाकात की। मुलाकात करने वाले दलों में आम आदमी पार्टी, बसपा, भाजपा, भाकपा (मार्क्सवादी), कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, भाकपा (माले) (लिबरेशन), जद (यू), लोजपा (रामविलास), राजद और रालोसपा शामिल थे। चर्चा के दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों को एक मजबूत लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हितधारक बताते हुए, उनसे चुनाव प्रक्रिया के हर चरण में पूर्ण भागीदारी करने का आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने दलों को मतदाताओं के साथ मिलकर चुनाव को एक उत्सव की भावना से मनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

दलों ने इस बात पर जोर दिया कि छठ त्योहार के बाद चुनाव होने से राज्य से बाहर रहने वाले प्रवासी मतदाता भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, जिससे मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। विभिन्न दलों ने जहां एक से दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव दिया, वहीं आम सहमति यह रही कि चुनाव चरणों की संख्या को कम किया जाना चाहिए।
चुनाव आयोग की पहलों की सराहना
राजनीतिक दलों ने हाल ही में सफलतापूर्वक पूरे किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास और मतदाता सूचियों को शुद्ध करने के लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया। उन्होंने चुनावी प्रक्रियाओं में अपना पूर्ण विश्वास भी दोहराया।
दलों ने आयोग की कुछ प्रमुख पहलों की विशेष रूप से सराहना की। इनमें प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या को 1,200 तक सीमित करना, डाक मतपत्रों की गिनती को ईवीएम मतगणना के अंतिम दौर से पहले पूरा करना, और पीठासीन अधिकारी (पीआरओ) द्वारा पार्टी एजेंटों को फॉर्म 17सी वितरित करना सुनिश्चित करना शामिल है। सभी दलों ने आयोग की निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने की क्षमता पर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया।
अधिकारियों को कड़े निर्देश
राजनीतिक दलों के साथ चर्चा के बाद, आयोग ने आयुक्तों, आईजी, डीआईजीएस, डीईओ, एसएसपी और एसपी के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक की। इस दौरान चुनाव योजना, ईवीएम प्रबंधन, कानून और व्यवस्था, और मतदाता जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
आयोग ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे पूरी निष्पक्षता से कार्य करें और राजनीतिक दलों की शिकायतों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्त, सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को फर्जी खबरों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी रखने और आवश्यकता पड़ने पर त्वरित कानूनी कार्रवाई करने के लिए भी निर्देशित किया गया है।

भाजपा चुनाव समिति की बैठक जारी
एक ओर जहां चुनाव आयोग अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनाव समिति की बैठक रविवार को भी जारी रही। इस बैठक में 2020 के विधानसभा चुनाव में हारी गई सीटों पर विशेष मंथन किया गया। इसके अलावा, बची हुई सिटिंग सीटों और वर्तमान विधायकों के प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई। शनिवार को हुई पहले दिन की बैठक में 60 सिटिंग सीटों पर विचार-विमर्श किया गया था और संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन चल रहा है।
कुल मिलाकर, चुनाव आयोग के इस दो दिवसीय दौरे और राजनीतिक दलों के साथ हुई बैठकों के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा जल्द ही होने वाली है। राजनीतिक दलों के सुझाव के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग कितने चरणों में और छठ महापर्व के बाद किस तारीख को मतदान की घोषणा करता है। आयोग की टीम द्वारा रविवार दोपहर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की जा सकती है, जिसमें चुनावी तैयारियों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं होने की संभावना है।

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