
xबिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। इसी सिलसिले में महागठबंधन के सभी प्रमुख घटक दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक शनिवार को पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आवास पर आयोजित होने जा रही है। बैठक का उद्देश्य है — राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के खिलाफ साझा रणनीति को अंतिम रूप देना और संयुक्त रूप से चुनावी अभियान को आक्रामक दिशा देना।
चुनावी समर की तैयारी
महागठबंधन की बैठक में कांग्रेस, राजद, वाम दलों और अन्य घटक दलों के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की विभिन्न समितियों ने एनडीए के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अपने-अपने प्रस्ताव तैयार किए हैं, जिन्हें बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। महागठबंधन की मंशा एक ऐसा साझा रोडमैप तैयार करना है जिससे भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को राजनीतिक चुनौती दी जा सके।
विरोध आंदोलन की पृष्ठभूमि
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब 9 जुलाई को महागठबंधन द्वारा राज्यव्यापी बंद और विरोध मार्च आयोजित किया गया था। यह प्रदर्शन चुनाव आयोग की ‘विशेष सघन पुनरीक्षण’ (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ था। विपक्ष का आरोप है कि एसआईआर के तहत जानबूझकर विपक्षी समर्थकों — विशेषकर दलित, ओबीसी और आदिवासी वर्ग — के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है।
संगठनात्मक स्तर पर तैयारियां
कांग्रेस पार्टी ने चुनावी तैयारियों को बूथ स्तर तक मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कांग्रेस सचिव शहनवाज आलम के अनुसार, पार्टी ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त किए हैं और उन्हें एसआईआर जागरूकता अभियान से जोड़ा गया है। ‘माई बहिन मान योजना’ के तहत प्रतिदिन 400 घरों का दौरा कर मतदाताओं को SIR से संबंधित जानकारी देने और फॉर्म भरवाने का कार्य शुरू किया गया है।
सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश
महागठबंधन की रणनीति विशेष रूप से सामाजिक न्याय के आधार पर तैयार की जा रही है। ओबीसी, दलित और आदिवासी वोटरों को केंद्र में रखकर प्रचार सामग्री, उम्मीदवारों का चयन और जनसंपर्क अभियानों को डिज़ाइन किया जा रहा है।
पटना में होने वाली यह बैठक बिहार की राजनीति में निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। गठबंधन की स्पष्ट रणनीति, साझा संकल्प और जमीनी तैयारी के ज़रिए आगामी चुनाव में एनडीए के सामने एक सशक्त विपक्ष खड़ा करने की मंशा जताई जा रही है।
चुनाव की तारीख़ों के ऐलान से पहले ऐसी राजनीतिक कवायदें आने वाले सियासी संघर्ष की दिशा का संकेत देती हैं। क्या यह एकजुटता वोटों में तब्दील होगी — ये तो जनता तय करेगी।

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