
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को खासा हंगामेदार रहा। सत्र के पहले ही दिन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश कर सरकार को घेरा। राजद के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने यह प्रस्ताव विधानसभा में महागठबंधन के विधायकों के हस्ताक्षर के साथ पेश किया।
कार्य स्थगन प्रस्ताव में उठाए गंभीर सवाल
अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने अपने प्रस्ताव में कहा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव एक-दो महीने में संभावित हैं, ऐसे में इतने कम समय में राज्यव्यापी मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करना अव्यावहारिक है। उन्होंने विधानसभा की प्रक्रिया कार्य संचालन नियमावली के नियम 98 के तहत यह मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में राज्य के कम से कम 50 प्रतिशत इलाके बाढ़ की चपेट में हैं, जहां लोगों का आवागमन तक मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति में मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य प्रभावित होगा और कई लोगों के नाम छूटने की आशंका है।
दलित-पिछड़ों के मताधिकार पर संकट की आशंका
राजद नेता ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगती है। इसके जरिये राज्य के पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी मतदाताओं को मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।

उन्होंने चेताया कि यदि ऐसा हुआ तो ये वर्ग अपने ही देश में शरणार्थी जैसा जीवन जीने को मजबूर होंगे और तानाशाही प्रवृत्ति की सरकार उन्हें उनके सामाजिक, आर्थिक और कानूनी अधिकारों से भी वंचित कर सकती है।
11 दस्तावेजों की अनिवार्यता पर जताई आपत्ति
इस्लाम शाहीन ने गणना प्रपत्र के साथ 11 अनिवार्य दस्तावेजों के निर्धारण को भी गैर-जरूरी और मनमाना बताया। उन्होंने कहा कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई क्षेत्रों में बीएलओ पावती नहीं दे रहे हैं और दस्तावेज न तो मतदाता से ले रहे हैं, न ही उन्हें अपलोड किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे मतदाता भ्रमित हैं और उनके नाम सूची में दर्ज नहीं हो पा रहे हैं। यह पूरे निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।
छह महीने पहले हो कार्य पूरा, तभी निष्पक्ष चुनाव संभव
राजद ने मांग की कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य पर्याप्त समय रहते और चुनाव की अधिसूचना जारी होने से कम से कम छह महीने पहले पूरा किया जाना चाहिए। शाहीन ने कहा कि ऐसे गंभीर और लोक महत्व के मुद्दे पर तत्काल सदन में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने आग्रह किया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को स्थगित कर मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विमर्श किया जाए ताकि हर नागरिक को उसके मताधिकार का संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित किया जा सके।

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