
नेपाल में जारी राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने नेपाल की वर्तमान स्थिति के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। चौधरी ने कहा कि अगर नेपाल भारत का हिस्सा होता तो आज वह एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राष्ट्र होता। उन्होंने यही बात पाकिस्तान पर भी लागू होने की बात कही।
उपमुख्यमंत्री के इस बयान ने एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि यह टिप्पणी उस समय आई है जब नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देशभर में अराजकता का माहौल है।
नेपाल में हिंसक विरोध और राजनीतिक संकट
नेपाल में यह संकट तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद, सोशल मीडिया पर प्रतिबंधों और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ जेन-जेड (Gen Z) के नेतृत्व वाला विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। यह स्थिति बांग्लादेश में हाल ही में हुई अशांति की याद दिलाती है।
राजधानी काठमांडू सहित पूरे देश में प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया। उन्होंने संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवासों पर हमला किया। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्रियों और स्वयं ओली के आवासों को भी नहीं बख्शा गया। कई सरकारी इमारतों, स्कूलों और मंत्रियों के घरों में आग लगा दी गई, जिससे व्यापक क्षति हुई। इस दौरान कई लोग घायल भी हुए।
इस हिंसक स्थिति के कारण अधिकारियों को त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को बंद करना पड़ा, जिससे हवाई यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ और कई यात्री फंस गए। नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा ने देश की सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस पर सीधा आरोप: “गलतियों का परिणाम है नेपाल की अराजकता”
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने नेपाल की वर्तमान अराजकता के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी की “गलतियों” को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “नेपाल में आज की अराजकता केवल कांग्रेस पार्टी की गलतियों के कारण है।” उन्होंने यह तर्क दिया कि यदि नेपाल भारत का हिस्सा होता, तो ऐसी उथल-पुथल नहीं होती। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने इन पड़ोसी देशों को भारत से अलग किया, जिससे वे आज अस्थिरता और अराजकता का सामना कर रहे हैं। उनके अनुसार, अगर विभाजन नहीं हुआ होता, तो नेपाल और पाकिस्तान दोनों ही भारत के साथ मिलकर एक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य का हिस्सा होते।
इतिहास के पन्नों में नेपाल का विलय प्रस्ताव
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की टिप्पणी ने एक पुराने ऐतिहासिक तथ्य को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ के अनुसार, नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने एक समय नेपाल का भारत में विलय करने का प्रस्ताव रखा था।
यह घटना 1940 के दशक के अंत की है, जब चीन में साम्यवादी क्रांति हो रही थी और 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। इन घटनाओं से चिंतित होकर, राजा त्रिभुवन ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से नेपाल को भारत में विलय करने का अनुरोध किया था।
हालांकि, नेहरू ने इस प्रस्ताव को यह कहकर अस्वीकार कर दिया था कि नेपाल को एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक राष्ट्र बने रहना चाहिए। उस समय, नेपाल खुद राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। 1846 से शासन कर रही राणा शासन व्यवस्था 1951 में ध्वस्त हो गई थी, जिसके बाद राजा त्रिभुवन के अधीन एक संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई थी।
आज, जब नेपाल एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट में फंसा हुआ है, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का बयान न केवल वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करता है, बल्कि इतिहास के उन फैसलों पर भी सवाल उठाता है, जिन्होंने भारत के इस महत्वपूर्ण पड़ोसी देश के भविष्य को आकार दिया। उनके बयान ने भारत और नेपाल के संबंधों और इतिहास की फिर से समीक्षा करने की आवश्यकता पर बहस छेड़ दी है।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



