
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस पार्टी ने अपनी राजनीतिक छवि को बदलने और पुराने वोट बैंक को पुनः सक्रिय करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। कृष्णा अल्लावरु को बिहार प्रभारी बनाकर पार्टी ने पहले ही संकेत दे दिया था कि इस बार चुनावी रणनीति में बदलाव होगा।

हालांकि हालिया रिपोर्टों के अनुसार, कृष्णा अल्लावरु को हटाकर अविनाश पांडे को नया प्रभारी बनाया गया है। यह बदलाव टिकट वितरण और संगठनात्मक कमजोरी को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष के चलते हुआ।
कांग्रेस ने इस बार बाहुबली नेताओं को टिकट न देकर एक साफ संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी अब स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही है। साथ ही, वंशवाद से दूरी बनाते हुए कई वरिष्ठ नेताओं के परिजनों को टिकट नहीं दिया गया।
पार्टी की रणनीति का एक अहम हिस्सा सीमांचल और मिथिलांचल में अपने परंपरागत वोट बैंक को पुनः जोड़ना है। सीमांचल में मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश की जा रही है, जबकि मिथिलांचल में कांग्रेस अपने पुराने गढ़ को फिर से मजबूत करने में लगी है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सक्रियता भी इस चुनाव में बढ़ी है। राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के जरिए 16 दिनों तक विभिन्न जिलों का दौरा किया, जिससे कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा गया।
कांग्रेस ने इस चुनाव में 60 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष भी देखने को मिला है, लेकिन पार्टी ने गठबंधन के भीतर की तनातनी को संभालने की कोशिश की है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस ने बांका जैसे पुराने गढ़ में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, जहां पार्टी 1985 तक लगातार जीतती रही थी। अब वह तीन दशक की हार का सिलसिला तोड़ने की तैयारी में है।

हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की रणनीति जनमानस को प्रभावित करने में पूरी तरह सफल नहीं रही है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की नई रणनीति को ज़मीनी स्तर पर अपेक्षित समर्थन नहीं मिला और कांग्रेस बैकफुट पर जाती दिख रही है।
बहरहाल, कांग्रेस की यह सक्रियता और रणनीतिक बदलाव इस बात का संकेत है कि पार्टी बिहार में लंबे समय बाद अपनी राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश में गंभीर है। चुनावी नतीजे ही तय करेंगे कि यह रणनीति कितनी सफल रही।

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