
बिहार चुनाव के दूसरे चरण
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा और अंतिम चरण निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। इस चरण के चुनाव प्रचार का शोर रविवार की शाम 6 बजे समाप्त हो गया। अब राजनीतिक पार्टियों ने अपना पूरा ध्यान 11 नवंबर को होने वाले मतदान के दिन पर केंद्रित कर दिया है, जब 20 जिलों के मतदाता राज्य की अगली सरकार का फैसला करेंगे। इस चरण में कुल 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जिसके लिए 1302 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें 1165 पुरुष, 136 महिला और 1 थर्ड जेंडर के उम्मीदवार शामिल हैं। चुनाव प्रचार के अंतिम 24 घंटों में एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Mahagathbandhan) के उम्मीदवारों ने मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

अंतिम दिन बड़े नेताओं का ताबड़तोड़ प्रचार
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन दोनों मुख्य गठबंधनों के शीर्ष नेताओं ने मतदाताओं से अंतिम अपील करने के लिए ताबड़तोड़ रैलियाँ कीं। सत्तारूढ़ एनडीए के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह सहकारिता मंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं ने सभाएं कीं। अमित शाह ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन दो जनसभाएं कीं। उनकी पहली जनसभा सासाराम के फजलगंज स्टेडियम मैदान पर हुई, जबकि दूसरी जनसभा अरवल के मधुसरमा मेला मैदान में आयोजित की गई। दूसरी ओर, महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार के सीमांचल इलाके किशनगंज में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया। इसके अलावा, इंडिया गठबंधन के बिहार संयोजक तेजस्वी प्रसाद यादव और लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान सहित तमाम बड़े नेताओं ने भी अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने की पुरजोर कोशिश की।
दूसरे चरण का चुनावी गणित और सीटें
दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 विधानसभा क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान होना है। इन 122 सीटों में से 101 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं, जबकि 19 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस चरण में कुल 3.7 करोड़ से ज़्यादा मतदाता वोट डालने के पात्र हैं, जिनमें 1.95 करोड़ पुरुष और 1.74 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। इस चरण में हरेक बूथ पर औसतन 815 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस चरण का मतदान बिहार की अगली राजनीतिक दिशा तय करने में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
पहले चरण का मतदान और राजनीतिक संदेश
इससे पहले, 6 नवंबर को हुए पहले चरण के मतदान में करीब 65.08 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, समस्तीपुर में सबसे ज्यादा 71.74 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि राजधानी पटना में सबसे कम 59.02 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। भाजपा और जद (यू) के नेतृत्व वाला एनडीए इस भारी मतदान को ‘सत्ता समर्थक’ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन में जनता के विश्वास का प्रमाण बता रहा है। दूसरी ओर, राजद और कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन, इसे ‘परिवर्तन की लहर’ के रूप में पेश कर रहा है।
अब निर्णायक मतदान की बारी
चुनाव प्रचार समाप्त होने के साथ ही, सभी राजनीतिक दलों का ध्यान अब 11 नवंबर को मतदाताओं को घरों से निकालकर मतदान केंद्र तक लाने पर केंद्रित हो गया है। प्रचार थमने के बाद अब प्रत्याशी घर-घर जाकर व्यक्तिगत संपर्क के जरिए मतदाताओं को गोलबंद करने की कोशिश करेंगे। 122 सीटों के भाग्य का फैसला मतदान के दिन होगा और सभी की निगाहें 14 नवंबर को घोषित होने वाले चुनाव नतीजों पर टिकी हुई हैं। यह चुनाव न केवल बिहार की दिशा, बल्कि देश की राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करने वाला है।

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