
बिहार में दो चरणों के महत्वपूर्ण चुनावों के पहले चरण के नामांकन में अब मात्र पांच दिन शेष हैं, और दूसरे चरण का नामांकन भी जल्द ही शुरू होने वाला है। इसके बावजूद, विपक्षी महागठबंधन (Grand Alliance) में सीटों के बंटवारे को लेकर तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है, जिसने गठबंधन के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने रविवार को स्वीकार किया कि सीटों के बंटवारे पर अभी भी बातचीत जारी है। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन की गुत्थी मुख्य रूप से सहयोगी दलों द्वारा उनकी संख्या से अधिक सीटों पर दावेदारी करने के कारण उलझी हुई है।
सहयोगियों का आरोप, राजद की मनमानी
गठबंधन के सहयोगी दल अनौपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर ‘मनमर्जी’ करने का आरोप लगा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, राजद ने वामदलों और कांग्रेस की पारंपरिक और सेटिंग वाली सात-आठ सीटों पर भी अपना दावा ठोक दिया है, जिससे विवाद गहरा गया है।
इसके जवाब में, कांग्रेस ने उन सीटों पर भी दावा ठोक दिया है, जहां पिछली बार AIMIM के विधायक जीते थे और अब वे राजद में शामिल हो चुके हैं।
हालांकि, घटक दलों के नेता सार्वजनिक रूप से इस मसले पर बयानबाजी से बच रहे हैं, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा जोरों पर है कि जिस तरह से राजद सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रहा है, उससे यह संभावना भी बन सकती है कि गठबंधन में रहने के बावजूद कुछ सीटों पर ‘दोस्ताना संघर्ष’ (Friendly Contest) देखने को मिल सकता है।
फिलहाल, गठबंधन की इस उलझी हुई गांठ को सुलझाने के लिए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने मध्यस्थ की भूमिका संभाल ली है। उनकी मध्यस्थता पर ही अब गठबंधन का भविष्य और सीटों के बंटवारे की अंतिम रूपरेखा निर्भर करेगी। समय तेजी से निकल रहा है, और राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है।

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