बिहार में इन दिनों 10 लाख लोगों को नौकरी देने और शिक्षक आंदोलन का मुद्दा गर्म है। भाजपा इन दोनों मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने में जुटी है।
वैसे, गौर करने वाली बात है कि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में राजद के नेता तेजस्वी यादव ने अपने प्रत्येक चुनावी सभा में सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक में पहले हस्ताक्षर से 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। राजद ने भी इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था।
सही अर्थ में देखें तो इसका फायदा भी चुनाव में राजद को मिला था। लेकिन, अब इसी हथियार को भाजपा हथियाने की फिराक में है और सरकार को घेर रही है।
भाजपा ने अब इस मुद्दे को लेकर सड़क पर भी उतरने की घोषणा की है। भाजपा पटना में 13 जुलाई को विधानसभा मार्च करने वाली है।
भाजपा के विधान पार्षद नवल किशोर यादव कहते हैं कि भाजपा 13 जुलाई को राजद के 10 लाख नौकरी देने की वादाखिलाफी और शिक्षकों के मुद्दे पर विधानसभा मार्च कर रही है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बने करीब 10 महीने हो गए, करीब 20 कैबिनेट की बैठक हो गई। लेकिन, 10 लाख की छोड़िए, 10 लोगों को सरकारी नौकरी इस सरकार में नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए विधानसभा मार्च रथ निकला गया है।
इधर, बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में जुटे चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि सरकार बनने के बाद वह पेन ही खो गई, जिससे तेजस्वी यादव हस्ताक्षर करते।
राजद के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि शिक्षक अभ्यर्थियों को भड़काया जा रहा है। महागठबंधन की सरकार हमेशा शिक्षकों के साथ रही है, आगे भी हमेशा रहेगी। बिहार में सरकारी नौकरी देने का लगातार काम हो रहा है। लगातार वैकेंसी आ रही है। भाजपा का काम सिर्फ हंगामा करना है।