
TMC विधायक हुमायूं कबीर का विरोध
पश्चिम बंगाल की राजनीति में उस समय गरमाहट आ गई जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर की ‘बाबरी मस्जिद’ बनाने की घोषणा कर दी। इस ऐलान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है और स्पष्ट तौर पर कहा है कि बाबर के नाम पर भारत में एक भी ईंट नहीं रखने दी जाएगी।
भाजपा नेताओं ने टीएमसी विधायक पर देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
यूपी के उपमुख्यमंत्री ने किया पलटवार
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हुमायूं कबीर के बयान को इतिहास के साथ खिलवाड़ करार दिया। आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा, “बाबर विदेशी आक्रांता था, जिसने भगवान राम के जन्मस्थान पर असली राम मंदिर को तोड़कर वहां एक ढांचा खड़ा किया था।”
मौर्य ने टीएमसी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राजद जैसे दलों को “हिंदू-विरोधी और राम-विरोधी विरोधी पार्टी” बताते हुए कहा कि बाबर के नाम पर किसी भी तरह का समर्थन करना पूरी तरह से गलत है।
उन्होंने 6 दिसंबर 1992 की घटना का जिक्र करते हुए कहा, “वह ढांचा 6 दिसंबर 1992 को राम-भक्त कारसेवकों ने गिराया था। उस बाबर के नाम पर भारत में एक भी ईंट नहीं रखने दी जाएगी।” उपमुख्यमंत्री का यह बयान भाजपा की विचारधारा और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
नफरत और तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
भाजपा प्रवक्ता यासिर जिलानी ने टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर पर निशाना साधते हुए उन्हें “नफरत की राजनीति के लिए जाने जाने वाला नेता” करार दिया।
जिलानी ने आरोप लगाया, “वे सिर्फ तुष्टीकरण के लिए राजनीति करते हैं। वे जानबूझकर बंगाल में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि टीएमसी नेता जानते हैं कि आने वाले चुनावों में लोग टीएमसी को नकार देंगे, इसलिए वे बेचैन हैं।
प्रवक्ता ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक बदलाव की लहर उठ रही है। उन्होंने कहा कि इसी बेचैनी की वजह से हुमायूं कबीर और टीएमसी के बड़े नेता अपने वोट बैंक को बचाने के लिए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। यह टिप्पणी टीएमसी पर चुनावी लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं को भड़काने का सीधा आरोप लगाती है।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी टीएमसी विधायक के बयान पर गहरी आपत्ति जताई। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “सनातनी परंपराएं हों, देश के मानबिंदु हों या देश का गौरवगान हो, टीएमसी सभी को समाप्त करना चाहती है।”
शर्मा ने आरोप लगाया कि टीएमसी देश के बहुसंख्यक समाज को भी दबाने की कोशिश कर रही है। उनका यह बयान दर्शाता है कि यह मुद्दा अब केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और विपक्षी दलों के बीच सांस्कृतिक और वैचारिक संघर्ष का केंद्र बन गया है।
अयोध्या के संतों ने भी किया विरोध
टीएमसी विधायक के बयान का विरोध केवल राजनीतिक नेताओं तक ही सीमित नहीं रहा। अयोध्या के संतों ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई।
करपात्री महाराज ने हुमायूं कबीर को सीधा जवाब देते हुए स्पष्ट कहा, “भारत में कहीं भी बाबर के नाम पर कोई मस्जिद नहीं बनेगी। यह बात पक्की है।”
महामंडलेश्वर विष्णु दास ने टीएमसी विधायक के कार्यों को “कोर्ट, संविधान और कानून के लिए बड़ी चुनौती” बताया। उन्होंने कहा, “जब उन्हें बाबरी मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई है, तो वे ऐसे काम कर रहे हैं जिससे एक संस्कृति और सनातन धर्म के मानने वालों की आस्था को ठेस पहुंच रही है।” उन्होंने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक भूमि पहले ही आवंटित की जा चुकी है, ऐसे में इस तरह का बयान जानबूझकर विवाद पैदा करने वाला है।
भाजपा और संतों का यह संयुक्त विरोध दिखाता है कि अयोध्या विवाद से संबंधित कोई भी बयान देश की राजनीति और धार्मिक भावनाओं को तुरंत भड़काने की क्षमता रखता है।

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