
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र जैसे ही शुरू हुआ, राज्य की राजनीति में टकराव का रंग काला हो गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायकों ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था और मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में कथित गड़बड़ियों के विरोध में काले कपड़े पहनकर विधानसभा पहुंचे। यह प्रदर्शन न केवल सरकार पर निशाना था, बल्कि राजद ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताते हुए एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी।
‘लोकतंत्र की हत्या’ का आरोप
राजद विधायक रणविजय साहू ने विधानसभा में कहा, “बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है, जिससे लोकतंत्र को नुकसान पहुंच रहा है। यह अस्वीकार्य है। महागठबंधन इस पर चुप नहीं बैठेगा और हम सड़कों से सदन तक सरकार का विरोध करेंगे।”
उन्होंने कानून-व्यवस्था पर बोलते हुए हालिया हत्याओं का उल्लेख किया और कहा, “गोपाल खेमका की सरेआम हत्या, पारस अस्पताल में भर्ती मरीज चंदन मिश्रा को गोली मारा जाना—यह सब दर्शाता है कि बिहार में गुंडाराज चल रहा है। जनता आतंक के साए में जी रही है।”
जदयू का तीखा पलटवार
राजद के इस विरोध प्रदर्शन पर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जदयू विधायक विनय चौधरी ने तंज कसते हुए कहा, “इन लोगों को सिर्फ काले कपड़े नहीं, अपने मुंह पर भी कालिख पोत लेनी चाहिए। जिनका खुद का इतिहास कानून-व्यवस्था को तार-तार करने वाला रहा हो, उन्हें नैतिकता की बात करने का कोई अधिकार नहीं है।”
विनय चौधरी ने सरकार की उपलब्धियों का हवाला देते हुए कहा, “नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार लगातार अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। हाल ही में आरा में मुठभेड़ इसका उदाहरण है।”
‘ऑपरेशन लंगड़ा’ बना नया सियासी मुद्दा
राज्य में चल रहे पुलिस अभियान ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ को लेकर भी विवाद गर्म है। राजद इसे पुलिसिया अराजकता का नाम दे रही है, जबकि जदयू इसका बचाव करते हुए कह रही है कि “राज्य में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है।”
जदयू विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा, “राजद के पास अब कोई मुद्दा नहीं है, ये लोग केवल नाटक कर रहे हैं। बिहार की जनता सब जानती है। आने वाले चुनावों में यही जनता इनके मुंह पर असली कालिख पोतेगी।”
विधानसभा का सत्र गरमाने के संकेत
बिहार विधानसभा का मानसून सत्र अभी शुरू ही हुआ है, लेकिन शुरुआती घटनाक्रम से साफ है कि विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच टकराव और तीखा होगा। काले कपड़े के इस राजनीतिक प्रदर्शन ने यह संकेत दे दिया है कि आने वाले दिनों में सदन में आरोप-प्रत्यारोप और सड़क पर विरोध-प्रदर्शन का दौर तेज़ रहेगा।

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