
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि द्वारा आयोजित पारंपरिक ‘टी पार्टी’ को राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने ठुकरा दिया है। डीएमके, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) और मणिथनेय मक्कल काची ने कार्यक्रम में शामिल न होने का ऐलान किया।
संविधान और राज्य के हितों के खिलाफ कार्यों का आरोप
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि राज्यपाल के पदभार संभालने के बाद से उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जो संविधान और तमिलनाडु के हितों के खिलाफ थे। इसी कारण, स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित ‘टी पार्टी’ में शामिल न होने का निर्णय लिया गया।
कांग्रेस का कड़ा बयान
तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थागई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा,
“हम तमिलनाडु के लोगों और इस भूमि के अधिकारों के खिलाफ कार्य करने वाले राज्यपाल की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर मतदाता सूची में अनियमितताएं पैदा करने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग की भी निंदा करते हैं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुंभकोणम में मुथमिज अरिग्नार कलैग्नर के नाम पर विश्वविद्यालय स्थापित करने के विधेयक को जानबूझकर देर से राष्ट्रपति को भेजा गया। इसी वजह से कांग्रेस विधायकों ने समारोह में न जाने का फैसला किया।
वीसीके ने भी किया इनकार
विदुथलाई चिरुथिगल काची के नेता थोल. थिरुमावलवन ने भी ‘टी पार्टी’ में शामिल न होने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि, “राज्यपाल ने हमें निमंत्रण भेजा, जिसके लिए हम धन्यवाद देते हैं, लेकिन हम पहले की तरह इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे।”
राज्यपाल और सरकार में लगातार तनातनी
सीएम एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार और राज्यपाल आर.एन. रवि के बीच लंबे समय से मतभेद चल रहे हैं। जनवरी 2025 में राज्यपाल द्वारा विधानसभा में राज्य सरकार के पारंपरिक संबोधन को पढ़ने से इनकार करने के बाद डीएमके ने सड़कों पर उतरकर विरोध किया था। उस समय पार्टी ने इसे “लोगों की उपेक्षा” बताया था।
इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित ‘टी पार्टी’ का बहिष्कार, राज्यपाल और तमिलनाडु की सत्ताधारी व विपक्षी पार्टियों के बीच गहराते राजनीतिक टकराव का संकेत देता है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम राज्य के अधिकारों और जनता की आवाज़ की रक्षा के लिए उठाया गया है।

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