
आगामी त्योहारों के मौसम से ठीक पहले, केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में आम जनता को बड़ी राहत दी है। जहां एक ओर सरकार ने आवश्यकता की वस्तुओं पर जीरो जीएसटी का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर विलासिता और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस क्रांतिकारी बदलाव की घोषणा की।
आम जनता के लिए राहत का पिटारा
सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि उसकी प्राथमिकता आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है। रोटी, पराठा, खाखरा, चपाती, दूध, ब्रेड, छेना और पनीर जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर जीएसटी को 5% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। यह फैसला उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो बढ़ती महंगाई से जूझ रहे हैं। यह कदम न सिर्फ महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करेगा, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार अपनी नीतियों में आम आदमी की भलाई को प्राथमिकता देती है।
इसके अलावा, शिक्षा के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पेंसिल, शार्पनर, एक्सरसाइज बुक और नोटबुक पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य कर दिया गया है। यह फैसला छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए एक बड़ी राहत है, जो शिक्षा के खर्चों को कम करने में मदद करेगा।

सबसे महत्वपूर्ण घोषणाओं में से एक है 33 जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी को 12% से घटाकर शून्य करना। यह कदम स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लाएगा। सरकार ने ओनासेमनोजेन अबेपार्वोवेक, एस्किमिनिब, मेपोलिज़ुमाब जैसी कई महत्वपूर्ण दवाओं को इस श्रेणी में शामिल किया है, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा। साथ ही, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी को 18% से घटाकर शून्य करना भी एक स्वागत योग्य कदम है, जो लोगों को बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर बढ़ी सख्ती
जहां एक ओर सरकार ने आवश्यक वस्तुओं पर कर घटाया है, वहीं दूसरी ओर तंबाकू उत्पादों, गुटखा, पान मसाला और सिगरेट पर 40% का भारी-भरकम जीएसटी लगाया गया है। यह फैसला न केवल राजस्व बढ़ाने के लिए है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उन उत्पादों पर कर का बोझ बढ़ाएगी जो समाज के लिए हानिकारक हैं।
इसी तरह, पर्सनल यूज वाले एयरक्राफ्ट, लग्जरी कार और नौका जैसी विलासिता की वस्तुओं पर भी 40% जीएसटी लगाया गया है। इस फैसले से यह संदेश जाता है कि सरकार उन लोगों पर अधिक कर लगाएगी जो उच्च-स्तरीय उपभोग करते हैं। कैसीनो, रेस क्लब और ऑनलाइन मनी गेमिंग जैसी गतिविधियों पर भी जीएसटी को 18% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। यह कदम जुए और सट्टेबाजी को हतोत्साहित करने के साथ-साथ इन क्षेत्रों से अधिक राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखता है।
इसके अतिरिक्त, रिवॉल्वर और पिस्तौल जैसी वस्तुओं पर भी जीएसटी को बढ़ाकर 40% कर दिया गया है, जो एक कठोर कदम है। यह फैसला न केवल सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार इन उत्पादों के उपयोग को नियंत्रित करना चाहती है।

राजनीतिक और आर्थिक संदेश
इस नई जीएसटी नीति से सरकार ने एक स्पष्ट राजनीतिक और आर्थिक संदेश दिया है। यह नीति गरीबों और मध्यम वर्ग को लाभ पहुँचाने पर केंद्रित है, जबकि उच्च वर्ग और हानिकारक उत्पादों पर कर का बोझ बढ़ाती है। सरकार ने एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है, जो समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को संतुलित करने का प्रयास करती है। यह फैसला आगामी चुनावों से पहले एक मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है, जो आम जनता के बीच सरकार की छवि को मजबूत करेगा। यह कदम न केवल आर्थिक सुधारों की दिशा में है, बल्कि यह सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बड़ी राहत है, जो शिक्षा के खर्चों को कम करने में मदद करेगा।

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