
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए बयान पर कड़ा जवाब दिया है। चिदंबरम ने अफजल गुरु की फांसी को लेकर खुद पर लगाए गए आरोपों को “तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया और कहा कि गृह मंत्री की ओर से बयान को जानबूझकर तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है।
क्या बोले थे अमित शाह?
बीते दिनों राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जब तक चिदंबरम देश के गृह मंत्री रहे, अफजल गुरु को फांसी नहीं दी गई। उन्होंने कांग्रेस पर आतंकवाद के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि “इन लोगों की प्राथमिकता आतंकवाद खत्म करना नहीं, बल्कि वोट बैंक की राजनीति है।”
उन्होंने पी. चिदंबरम के एक पुराने बयान का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि आखिर वो “पाकिस्तानी आतंकवादियों को बचाना चाहते हैं या नहीं”। शाह का यह बयान सियासी हलकों में तेजी से चर्चा का विषय बन गया।
चिदंबरम ने दी सफाई, कानून का दिया हवाला
पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट साझा कर बताया कि अफजल गुरु की पत्नी ने अक्टूबर 2006 में राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी, जो 3 फरवरी 2013 को खारिज की गई। इसके बाद ही 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को फांसी दी गई।
चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि वे 1 दिसंबर 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री थे और इस दौरान दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित थी। उन्होंने कहा कि “कानून के अनुसार जब तक दया याचिका पर निर्णय नहीं होता, फांसी नहीं दी जा सकती।” इसलिए गृह मंत्री रहते हुए उन्होंने कोई प्रक्रिया नहीं रोकी।
‘राजनीतिक बयानबाजी से बचें’ की अपील
चिदंबरम ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वो तथ्यों के आधार पर सार्वजनिक बयान दें, न कि राजनीतिक लाभ के लिए संवेदनशील मामलों को घुमाकर पेश करें।
उन्होंने कहा,
“संसद में जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को तथ्यों से खेलने के बजाय देश की जनता के सामने सच्चाई रखनी चाहिए। अफजल गुरु को फांसी कांग्रेस की सरकार में ही हुई, और वह प्रक्रिया न्यायिक और संवैधानिक थी।”
कांग्रेस ने दिया समर्थन
कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं ने भी चिदंबरम के पक्ष में आवाज़ बुलंद की। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह मुद्दा “झूठे राष्ट्रवाद” के नाम पर बार-बार उछाला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे पुराने मुद्दों को फिर से हवा दे रही है।
फांसी पर नहीं, राजनीतिक बयानबाजी पर घमासान
अफजल गुरु की फांसी के मुद्दे को लेकर केंद्र और कांग्रेस के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिला है। एक ओर जहां अमित शाह आतंकवाद पर कांग्रेस की कथित नरमी पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं चिदंबरम इसे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप मानते हैं। यह बहस बताती है कि आतंकवाद जैसे गंभीर विषय भी भारतीय राजनीति में सियासी हथियार बनते जा रहे हैं।

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