
मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बेहद सख्त रुख अपनाया। चीफ जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की बेंच ने मुंबई की सड़कों पर आंदोलन के कारण उत्पन्न अराजक स्थिति पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने राज्य सरकार को दोपहर 3 बजे तक स्थिति को सामान्य करने और उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान, मराठा समुदाय के वकील ने अदालत को बताया कि लगभग 5,000 गाड़ियां मुंबई पहुँच चुकी हैं, लेकिन 500 लोगों के लिए भी रुकने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “सड़कों पर जज के चलने की भी जगह नहीं है। हालात सामान्य करें वरना सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
हाईकोर्ट का अल्टीमेटम: ‘गाड़ियां नहीं दिखनी चाहिए’
चीफ जस्टिस चंद्रशेखर ने सरकार को स्पष्ट अल्टीमेटम देते हुए कहा, “जब मैं कोर्ट से निकलूंगा, हमें ये गाड़ियां दिखनी नहीं चाहिए। इसके लिए जो भी उचित और जरूरी कदम हों, उठाएं।” यह टिप्पणी राज्य प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए काफी थी कि वह बिना किसी देरी के सड़कों से वाहनों को हटाए और भीड़ को नियंत्रित करे।
कोर्ट ने राज्य सरकार को दोपहर 3 बजे तक कार्रवाई की जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसके बाद दोबारा बेंच बैठेगी और स्थिति की समीक्षा करेगी।

मुंबई में जाम और पुलिस का एक्शन
मराठा नेता मनोज जरांगे मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में पिछले चार दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं। उनके समर्थन में हजारों की संख्या में समर्थक और गाड़ियां मुंबई पहुँची हैं, जिससे शहर में जगह-जगह भारी जाम और अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है।
इस स्थिति को देखते हुए मुंबई पुलिस ने पहले ही मनोज जरांगे के प्रदर्शन को अनुमति देने से इनकार कर दिया है और उन्हें आजाद मैदान खाली करने का नोटिस भी भेजा है।

सरकार की अपील और बातचीत का प्रयास
इस बीच, महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री पंकज भोयर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार की ओर से मनोज जरांगे और उनके साथियों से लगातार अपील की गई है कि वे ऐसा आंदोलन न करें जिससे आम मुंबईवासियों को परेशानी हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि मनोज जरांगे और उनके साथी सरकार के साथ चर्चा करके इस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकालेंगे।
हाईकोर्ट का यह सख्त रुख सरकार और प्रदर्शनकारियों दोनों पर एक साथ दबाव बना रहा है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन किस तरह से कोर्ट के आदेशों का पालन करता है और क्या यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त होता है या नहीं।

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