
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने कैंप कार्यालय में ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम को फिर से शुरू कर दिया है। 20 अगस्त को हुए हमले के बाद यह मुख्यमंत्री का पहला ऐसा कार्यक्रम था, और इस बार इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री की सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
‘जन सुनवाई’ के तरीके में बदलाव
हमले से पहले, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता लोगों के बीच जाकर उनकी शिकायतें सुनती थीं, जिससे वे सीधे जनता से जुड़ पाती थीं। हालांकि, इस बार ‘जन सुनवाई’ का तरीका पूरी तरह से बदल गया। मुख्यमंत्री ने एक मेज के पीछे बैठकर लोगों से मुलाकात की। लोग एक-एक करके उनके पास आकर अपनी शिकायतें और आवेदन दे रहे थे। यह बदलाव स्पष्ट रूप से लोगों और मुख्यमंत्री के बीच एक सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए किया गया था।
सुरक्षा व्यवस्था में भारी बदलाव
बुधवार को हुए इस कार्यक्रम में भारी सुरक्षा का बंदोबस्त किया गया था। मुख्यमंत्री के आसपास कई सुरक्षाकर्मी तैनात थे, जबकि कुछ सुरक्षाकर्मी फरियादियों के पास खड़े होकर व्यवस्था संभाल रहे थे। लोगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचने से पहले कई सुरक्षा जांचों से गुजरना पड़ा। पुलिसकर्मियों ने मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल करके लोगों की तलाशी ली, और पूरे कार्यक्रम की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। इस तरह की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पहले कभी ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम में नहीं देखी गई थी।
सुबह 8 बजे शुरू हुआ कार्यक्रम
‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम सुबह 8 बजे शुरू हुआ। राजधानी के अलग-अलग हिस्सों से आए लोग अपनी शिकायतें लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंचे। लोगों ने अपनी समस्याओं को मुख्यमंत्री के सामने रखा और उनसे मदद की गुहार लगाई। यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री के लिए जनता से सीधे जुड़ने और उनकी समस्याओं का तुरंत निवारण करने का एक महत्वपूर्ण जरिया रहा है
हमला और मुख्यमंत्री का संकल्प
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ‘जन सुनवाई’ पर 20 अगस्त को हमला हुआ था, जब राजेश खिमजी नामक एक व्यक्ति ने उन पर हमला कर दिया था। आरोपी ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री को कुछ कागज दिए और फिर अचानक उन पर हमला करते हुए उन्हें थप्पड़ मारा। इस हमले में मुख्यमंत्री जमीन पर गिर गई थीं, लेकिन समय रहते सुरक्षाकर्मियों और जनता ने आरोपी को पकड़ लिया।
इस हमले के बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत स्पष्ट कर दिया था कि वे जनता से दूर नहीं होंगी और ‘जन सुनवाई’ जारी रहेगी। उन्होंने कहा था कि इस तरह के हमले उन्हें जनता के लिए काम करने से नहीं रोक पाएंगे। बुधवार को आयोजित यह कार्यक्रम उनके इसी दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
हालांकि, सुरक्षा उपायों में किए गए बदलाव यह भी दर्शाते हैं कि हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां कोई जोखिम नहीं लेना चाहतीं। मुख्यमंत्री के पास अब लोगों से सीधे संपर्क करने का पहले जैसा मौका नहीं है, लेकिन वे अभी भी जनता की समस्याओं को सुनने और उनका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम का स्वरूप कैसा रहता है, और क्या मुख्यमंत्री कभी पहले की तरह सीधे लोगों के बीच जाकर उनसे मिल पाएंगी।

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