
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित शस्त्र पूजन कार्यक्रम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने एक शैक्षणिक संस्थान का इस्तेमाल इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के लिए करने के औचित्य पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर हुए पुलिस बल प्रयोग की भी तीखी आलोचना की और आरोप लगाया कि राजस्थान में कानून का राज धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जब एनएसयूआई (कांग्रेस की छात्र इकाई) कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम का विरोध किया, तो पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आरएसएस कार्यकर्ताओं ने कानून अपने हाथ में ले लिया और एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर हमला किया। गहलोत ने चेतावनी दी कि यह घटना दर्शाती है कि “राजस्थान में कानून का राज धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और आरएसएस एक संविधान-विहीन सत्ता बन गया है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को राजनीति का केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए और उनकी पवित्रता को बनाए रखा जाना चाहिए।
पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल, बताया आरएसएस का दबाव
अशोक गहलोत ने पूरी घटना के दौरान पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में हुई इस घटना ने पुलिस की निष्पक्षता में विफलता को दर्शाया है। गहलोत ने आरोप लगाया, “इसका मतलब है कि पुलिस आरएसएस के दबाव में है। अगर पुलिस इसी दबाव में काम करती रहेगी, तो वह राज्य में कानून-व्यवस्था कैसे बनाए रखेगी?”

गहलोत के अनुसार, पुलिस प्रशासन का काम निष्पक्ष रूप से काम करना और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है, लेकिन इस मामले में पुलिस ने एक राजनीतिक संगठन के दबाव में आकर काम किया। उन्होंने मौजूदा राज्य सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने और पुलिस को राजनीतिक हित साधने के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और राज्य की शांति और सद्भाव को बिगाड़ सकती हैं। उन्होंने मांग की कि पुलिस को इस दबाव से मुक्त होकर काम करना चाहिए और निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए।
सचिन पायलट और टीकाराम जूली ने भी की निंदा
कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी इस घटना और पुलिस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पुलिस कार्रवाई को “बेहद निंदनीय” बताया और घायल हुए एनएसयूआई कार्यकर्ताओं के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। पायलट ने गहलोत की बात पर सहमति जताते हुए इस बात पर जोर दिया कि शैक्षणिक संस्थानों को किसी भी कीमत पर राजनीति का केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों का माहौल शिक्षा और ज्ञान के लिए सुरक्षित और शांत रहना चाहिए, न कि राजनीतिक टकराव का अखाड़ा।
इसी क्रम में, नेता प्रतिपक्ष विधायक टीकाराम जूली ने भी पुलिस द्वारा एनएसयूआई नेताओं पर कथित लाठीचार्ज, वाहनों में तोड़फोड़ और गिरफ्तारी की निंदा की। जूली ने मुख्यमंत्री से तत्काल प्रभाव से सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने का आग्रह किया। टीकाराम जूली ने कहा, “राजस्थान विश्वविद्यालय में भाजपा और आरएसएस की नफरत भरी राजनीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एनएसयूआई नेताओं और कार्यकर्ताओं पर सरकार के समर्थन से पुलिस द्वारा लाठीचार्ज, उनके वाहनों में तोड़फोड़ और फिर उन्हें गिरफ्तार करने की घटना अत्यंत निंदनीय है।” उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि शिक्षा के इन मंदिरों को राजनीति का अखाड़ा न बनाएं और इनका राजनीतिकरण बंद करें। जूली ने कहा कि अगर सरकार जल्द ही गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा नहीं करती है, तो कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सकती है। यह पूरा विवाद आने वाले दिनों में राजस्थान की राजनीति में और गरमा सकता है।

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