
संसद के मानसून सत्र का बुधवार को तीसरा दिन है। बीते दो दिनों की तरह आज भी दोनों सदनों में राजनीतिक हलचल तेज रहने की संभावना है। मंगलवार को हुए विरोध और हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी। बुधवार को कार्यवाही दोबारा शुरू होगी, लेकिन विपक्ष के तेवर देखते हुए फिर से गतिरोध की स्थिति बन सकती है।
राज्यसभा में महत्वपूर्ण बैठक और विस्तारित चर्चा
बुधवार को राज्यसभा में दोपहर 12:30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की एक अहम बैठक निर्धारित है, जिसमें शेष सत्र की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस के लिए चर्चा का समय नौ घंटे तक बढ़ा दिया गया है। इस बहस को लेकर विभिन्न दलों के बीच तीखी बहस और टकराव की संभावना है।
मंगलवार का दिन रहा हंगामेदार
सत्र के दूसरे दिन संसद परिसर में विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं ने संसद के ‘मकर द्वार’ के बाहर एकजुट होकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया। उन्होंने बिहार में चल रहे मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (एसआईआर) अभियान को पक्षपातपूर्ण बताते हुए उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाए।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे से भी बढ़ा सियासी तनाव
सत्र के दौरान अचानक उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी। यह मुद्दा भी विपक्ष के आक्रोश का एक बड़ा कारण बना और विपक्ष ने इस पर स्पष्टता की मांग की।

राज्यसभा और लोकसभा दोनों में हंगामा
राज्यसभा में उस वक्त हंगामा और बढ़ गया जब उपसभापति हरिवंश ने विपक्षी सांसदों के स्थगन प्रस्तावों को खारिज कर दिया। इसके विरोध में विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और जोरदार नारेबाजी की। इसके चलते सदन को पहले दोपहर तक, फिर दो बजे तक और अंततः पूरे दिन के लिए स्थगित करना पड़ा।
वहीं, लोकसभा में भी विपक्ष ने एसआईआर और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग की, लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा अनुमति न मिलने पर सदन में शोर-शराबा शुरू हो गया और अंततः लोकसभा की कार्यवाही भी पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
संसद का मानसून सत्र लगातार राजनीतिक टकराव और आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ता जा रहा है। जहां एक ओर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार एसआईआर जैसे संवेदनशील मुद्दे छाए हुए हैं, वहीं विपक्ष की आक्रामक रणनीति और सत्ता पक्ष का रुख आने वाले दिनों में सत्र को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

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