
पंजाब की राजनीति में भूचाल लाते हुए, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पंजाब के पूर्व वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायालय (पीएमएलए), मोहाली में चार्जशीट दाखिल की है। यह कार्रवाई पंजाब सतर्कता ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के बाद हुई है, जिसमें वन विभाग में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ था।
भ्रष्टाचार की परतें: क्या है पूरा मामला?
ईडी की जांच में साधु सिंह धर्मसोत पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। एजेंसी का दावा है कि जब वे वन मंत्री थे, तब उन्होंने पेड़ों की कटाई के परमिट जारी करने, अधिकारियों के तबादले और तैनाती करने, और अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने के एवज में भारी रिश्वत ली। जांच के आधार पर ईडी ने पाया है कि धर्मसोत ने इस भ्रष्ट आचरण से 1.77 करोड़ रुपये की “अपराध आय” (Proceeds of Crime) अर्जित की।
यह मामला यहीं तक सीमित नहीं है। आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच में ईडी ने यह भी पाया कि पूर्व मंत्री ने 6.34 करोड़ रुपये की अवैध आय जमा की थी। इस संबंध में भी ईडी ने 14 मार्च 2024 को एक अलग अभियोजन शिकायत दर्ज की थी। इन खुलासों ने पंजाब की तत्कालीन सरकार में भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर किया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है।
वन विभाग में पैसों का गबन: ट्री गार्ड का घोटाला
ईडी की जांच में केवल मंत्री ही नहीं, बल्कि वन विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। रेंज वन अधिकारी सुखविंदर सिंह और ब्लॉक अधिकारी मोहिंदरपाल सिंह पर 53.64 लाख रुपये की सरकारी धनराशि का गबन करने का आरोप है। यह धनराशि बुढलाडा वन रेंज में ट्री गार्ड की खरीद के लिए आवंटित की गई थी।
जांच में यह पाया गया कि ट्री गार्ड खरीदे ही नहीं गए। इसके बजाय, यह पैसा अस्थायी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में भेजा गया और बाद में नकद निकाल लिया गया। इस घोटाले ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार के व्यापक नेटवर्क को दर्शाया है। इस मामले में, ईडी ने पहले ही आरएफओ सुखविंदर सिंह की 53.64 लाख रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया था, जो इस अपराध की गंभीरता को दर्शाता है।

ईडी की कार्रवाई: गिरफ्तारी और आगे की राह
ईडी ने इस मामले में अपनी जांच को तेजी से आगे बढ़ाया है। 30 नवंबर 2023 को विभिन्न परिसरों पर तलाशी ली गई, और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 15 जनवरी 2024 को साधु सिंह धर्मसोत को गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी इस बात का स्पष्ट संकेत थी कि ईडी इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
चार्जशीट दाखिल होने के बाद अब यह मामला अदालत में चलेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्व मंत्री और अन्य आरोपी इन आरोपों का कैसे सामना करते हैं। यह मामला न केवल कानूनी लड़ाई तक सीमित है, बल्कि इसके राजनीतिक परिणाम भी होंगे। विपक्षी दल इस मामले को सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कठोर नीति को साबित करने का प्रयास करेगी।
कुल मिलाकर, साधु सिंह धर्मसोत के खिलाफ ईडी की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और यह भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए एक मजबूत संदेश देती है।

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