
भारतीय चुनाव आयोग ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि मतदाता सूची से नाम ऑनलाइन डिलीट करने का कोई प्रावधान नहीं है। आयोग ने साफ किया कि किसी भी मतदाता का नाम हटाने से पहले प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य है और बिना प्रक्रिया पूरी किए किसी का वोट हटाया नहीं जा सकता।
राहुल गांधी का आरोप
बीते दिनों राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर पक्षपात और मतदाता सूची से व्यवस्थित तरीके से नाम हटाने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार उन लोगों को बचा रहे हैं, जो मतदाता सूची में हेरफेर के लिए जिम्मेदार हैं। राहुल गांधी ने कर्नाटक के आलंद और महाराष्ट्र के राजुरा विधानसभा क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के जरिये पूरे देश में “वोट चोरी” हो रही है।
कांग्रेस सांसद का कहना था कि कर्नाटक सीआईडी ने पिछले 18 महीनों में चुनाव आयोग को 18 बार पत्र लिखकर मतदाताओं के नाम हटाए जाने से जुड़े तकनीकी विवरण मांगे, लेकिन आयोग ने कभी सहयोग नहीं किया। उन्होंने यहां तक कहा कि वे जल्द ही इस मामले पर सबूतों का एक “हाइड्रोजन बम” लेकर सामने आएंगे, जिससे कथित वोट चोरी का पर्दाफाश होगा।
चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी के आरोपों का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने एक औपचारिक बयान जारी किया। आयोग ने कहा,
“राहुल गांधी ने यह गलत धारणा बनाई है कि किसी भी आम नागरिक द्वारा मतदाता सूची से नाम ऑनलाइन हटाया जा सकता है। वास्तविकता यह है कि बिना सुनवाई का अवसर दिए किसी भी मतदाता का नाम हटाया नहीं जा सकता। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और तय नियमों के अनुसार ही होती है।”

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आलंद निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास जरूर किए गए थे, लेकिन चुनाव आयोग ने खुद इसकी जांच कराई और एफआईआर दर्ज की। आयोग के मुताबिक, “आलंद में हुए पिछले चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी रहे हैं। 2018 में यहां भाजपा के सुभाध गुट्टेदार विजयी रहे थे, जबकि 2023 में कांग्रेस के बीआर पाटिल ने जीत हासिल की। यह साफ दर्शाता है कि चुनाव प्रक्रिया पर आरोप बेबुनियाद हैं।”
आलंद और राजुरा विवाद
राहुल गांधी ने विशेष रूप से कर्नाटक के आलंद और महाराष्ट्र के राजुरा क्षेत्रों का उल्लेख किया था। उनके मुताबिक, इन इलाकों में बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम गायब हुए। हालांकि, आयोग का तर्क है कि ये आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। आयोग ने कहा कि चुनावों के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना को खत्म करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर कठोर निगरानी रखी जाती है।
‘वोट चोरी’ पर सियासी संग्राम
राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की सफाई के बाद अब यह मामला राजनीतिक तकरार का विषय बन गया है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा का सवाल बता रही है, वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की छवि धूमिल कर रहा है। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा है कि वे बिना सबूत गंभीर आरोप लगाकर देश की संस्थाओं की विश्वसनीयता पर हमला कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का असर आने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। विपक्ष जहां चुनाव प्रक्रिया को सवालों के घेरे में खड़ा करने की रणनीति पर चल रहा है, वहीं चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर लगातार सफाई दे रहा है।
राहुल गांधी के “वोट चोरी” वाले बयान और “हाइड्रोजन बम” के सबूत पेश करने की चेतावनी ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। हालांकि, चुनाव आयोग का साफ रुख है कि मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी है। अब नजर इस बात पर है कि राहुल गांधी अपने दावों के समर्थन में क्या सबूत पेश करते हैं और क्या यह विवाद आने वाले चुनावी माहौल में कोई बड़ा मोड़ ला पाता है या नहीं।

गांव से लेकर देश की राजनीतिक खबरों को हम अलग तरीके से पेश करते हैं। इसमें छोटी बड़ी जानकारी के साथ साथ नेतागिरि के कई स्तर कवर करने की कोशिश की जा रही है। प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक की राजनीतिक खबरें पेश करने की एक अलग तरह की कोशिश है।



