पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में मंगलवार को मतगणना के रुझान जहां एक तरफ तृणमूल कांग्रेस की भारी जीत की ओर इशारा कर रहे हैं, वहीं दो मंत्रियों सहित सत्तारूढ़ पार्टी के कई दिग्गज मतदान प्रक्रिया के दौरान हुई हिंसा और खून-खराबे के खिलाफ मुखर हो गए हैं।
पर्यटन मंत्री बाबुल सुप्रियो के मुताबिक, पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए हिंसा जरूरी नहीं थी, क्योंकि तृणमूल वैसे भी आसानी से जीत जाती।
गायक से नेता बने सुप्रियो ने कहा, “यह सच है कि कुछ ही बूथों पर तनाव था। लेकिन अगर कुछ इलाकों में हिंसा के कारण करीब 40 लोगों की जान चली गई तो यह निश्चित रूप से शर्मिंदगी की बात है। हमारे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को यह समझना चाहिए कि पश्चिम बंगाल के लोग आमतौर पर राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई विकास परियोजनाओं से खुश हैं। इसलिए ऐसी स्थिति पैदा करने की कोई जरूरत नहीं थी। वे वास्तव में इस तरह के कार्यों से विपक्ष को ऑक्सीजन दे रहे हैं।”
उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने संदेह व्यक्त किया कि क्या पश्चिम बंगाल में हिंसा मुक्त चुनाव कभी संभव हो पाएगा।
गुहा ने कहा, “चुनाव के दौरान कोई भी हिंसा नहीं चाहता। लेकिन मुझे संदेह है कि क्या मैं अपने जीवनकाल में कभी हिंसा-मुक्त चुनाव देख पाऊंगा।”
अभिनेता से नेता बने और तीन बार के तृणमूल विधायक चिरंजीत चक्रवर्ती ने कहा कि अगर हिंसा के माध्यम से जीत हासिल की जाती है, तो यह विजेता पर लोगों के विश्वास को नहीं दर्शाता है।
उन्होंने कहा, “ऐसी जीतें निरर्थक हैं। ऐसी कार्रवाइयों के जरिए लंबे समय तक सत्ता में बने रहना असंभव है, अगर आम लोग अंततः चुपचाप विद्रोह कर दें तब क्या होगा।”
पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक अब्दुल करीम चौधरी ने सवाल किया कि उनकी पार्टी ने इस जीत से क्या हासिल कर लिया, जब इतने सारे लोगों की जान चली गई।
चौधरी ने कहा, “क्या यह जीत जनता के विश्वास को दर्शाती है? यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है कि सत्तारूढ़ दल लोगों के समर्थन के बजाय हिंसा पर अधिक निर्भर है।“