
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो घंटे से अधिक लंबे भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से सरकार की मंशा और नीति को सामने रखा है। अब किसी भी तरह के सवाल या भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं बची है।
रिजिजू ने कहा, “प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत किस तरह एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरा है। उन्होंने तथ्यों और दृष्टिकोणों के साथ स्थिति स्पष्ट की। अब विपक्ष को अपनी घटिया राजनीति छोड़ देनी चाहिए और देश के साथ खड़ा होना चाहिए।”
विपक्षी सवालों पर जताई नाराजगी
केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री के इतने विस्तार से किए गए बयान के बाद भी विपक्ष सवाल उठाता है, तो वह सिर्फ दुर्भावना से प्रेरित राजनीति है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस द्वारा फैलाया गया नैरेटिव और पाकिस्तान के हालात काफी हद तक एक जैसे दिखते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
चिदंबरम के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के उस बयान पर जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को लेकर नरम रुख दिखाया था, रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रहित से ऊपर कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “अगर चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता पाकिस्तान को क्लीन चिट देने की कोशिश करेंगे तो निश्चित ही देश को इससे आपत्ति होगी। प्रधानमंत्री ने ठीक कहा है कि संकीर्ण मानसिकता से राष्ट्र का भला नहीं हो सकता।”
भाजपा सांसदों का भी प्रधानमंत्री के भाषण को समर्थन
प्रधानमंत्री के भाषण की सराहना केवल रिजिजू तक सीमित नहीं रही। भाजपा के राज्यसभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि वह दुनिया के शीर्ष नेताओं में हैं। उन्होंने कहा, “जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति का फोन आया, तो पीएम मोदी ने एक घंटे तक फोन नहीं उठाया। इससे भारत की नई वैश्विक स्थिति का संकेत मिलता है।”
‘सिंदूर स्मारक’ की मांग भी उठी
राज्यसभा सांसद बृजलाल ने राज्यसभा में हुई चर्चा को सार्थक बताया और कहा कि उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर अपनी बात रखी। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर ‘सिंदूर स्मारक’ बनाए जाने की मांग भी की है, जिससे इस ऑपरेशन की स्मृति देश में सुरक्षित रखी जा सके।
विपक्ष से सहयोग की अपील
केंद्रीय मंत्री रिजिजू और अन्य भाजपा नेताओं की प्रतिक्रियाएं इस बात की ओर संकेत करती हैं कि सरकार अब स्पष्ट नीति और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। ऐसे में विपक्ष से अपेक्षा की जा रही है कि वह नकारात्मक राजनीति छोड़कर देशहित में रचनात्मक भूमिका निभाए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीतियों को लेकर एकजुटता का संदेश जाए।

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