
शहर की नवीन मंडी में एक दुकान पर कब्जे को लेकर चल रहे विवाद में अब राजनीतिक रंग आ गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधा सिंह की कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद अयाज सहित छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश पीड़ित मोहम्मद नदीम द्वारा दायर की गई एक याचिका के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दुकान पर जबरन कब्जे और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया था।
क्या है पूरा मामला?
शहर के पीर बटावन मोहल्ले के निवासी मोहम्मद नदीम ने अदालत में धारा 173(4) के तहत एक प्रार्थना पत्र दिया था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे साल 2014 से नवीन मंडी स्थित दुकान संख्या बी/10 में ‘मोहम्मद सिराज एंड कंपनी’ के नाम से मौसमी फलों का थोक व्यापार कर रहे हैं। इस दुकान के आवंटित मालिक सपा जिलाध्यक्ष मोहम्मद अयाज हैं, जो इस व्यवसाय में उनके पार्टनर भी थे।
नदीम के अनुसार, व्यवसाय में नुकसान होने के बाद मोहम्मद अयाज ने साझेदारी खत्म करने और दुकान खाली करने के लिए कहा। पीड़ित ने आरोप लगाया कि 15 जुलाई 2025 को मोहम्मद अयाज अपने कुछ साथियों, जिसमें ताज बाबा राईन भी शामिल थे, के साथ दुकान पर पहुंचे। उन्होंने वहां जमकर तोड़फोड़ की और जान से मारने की धमकी दी। नदीम का यह भी आरोप है कि हमलावर दुकान में रखी करीब ₹80,000 की नकदी भी जबरन उठाकर ले गए।
कोर्ट में दिए गए प्रार्थना पत्र में नदीम ने यह भी दावा किया कि ताज बाबा राईन उनकी दुकान पर कब्जा करना चाहते हैं। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधा सिंह की कोर्ट ने नगर कोतवाली के थानाध्यक्ष को आदेश दिया है कि वे प्रार्थना पत्र में वर्णित तथ्यों के आधार पर उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज करें और मामले की गहन विवेचना करें।
दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे
इस मामले पर नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक सुधीर सिंह ने कहा है कि वे कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे और जल्द ही FIR दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू करेंगे।
वहीं, सपा जिलाध्यक्ष मोहम्मद अयाज ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि दुकान उनके नाम पर आवंटित है, और इसके बावजूद मोहम्मद नदीम अब भी उस पर जबरन कब्जा जमाए हुए हैं। अयाज ने इन आरोपों को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है, हालांकि अभी तक उन्होंने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है।
इस विवाद के बाद बाराबंकी की राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि मामला सीधे तौर पर सत्ताधारी पार्टी के एक प्रमुख नेता से जुड़ा है। अदालत के इस आदेश के बाद, अब यह देखना होगा कि पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और दोनों पक्षों के दावे किस तरह सच साबित होते हैं। यह मामला न केवल एक व्यावसायिक विवाद है, बल्कि इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप और सत्ता का दुरुपयोग जैसे आरोप भी शामिल हैं।

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