
हासन से पूर्व लोकसभा सांसद और जनता दल (सेक्युलर) नेता प्रज्वल रेवन्ना को उनकी घरेलू सहायिका से दुष्कर्म के एक मामले में जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत (एमपी-एमएलए कोर्ट) ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 34 वर्षीय प्रज्वल को अदालत ने पहले ही दुष्कर्म और यौन शोषण के चार मामलों में से एक में दोषी करार दिया था, जिसके बाद शुक्रवार को सजा पर सुनवाई हुई।
अदालत में भावुक हुए रेवन्ना, मांगी रहम की सजा
सजा सुनाए जाने से पहले प्रज्वल रेवन्ना अदालत में फूट-फूट कर रो पड़े और न्यायाधीश से दया की अपील की। उन्होंने कहा, “मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। मेरी एकमात्र गलती यह है कि मैंने राजनीति में तेजी से तरक्की की। मैं छह महीने से अपने माता-पिता से भी नहीं मिला हूं।”

रेवन्ना ने दावा किया कि पीड़िता ने घटना के तुरंत बाद न तो अपने पति और न ही किसी रिश्तेदार से इसकी शिकायत की, बल्कि बाद में वायरल हुए वीडियो के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने कोर्ट से कम सजा देने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनका परिवार है और उनकी छवि को राजनीतिक साजिश के तहत नुकसान पहुंचाया गया है।
अभियोजन पक्ष ने की उम्रकैद की मांग
सरकारी वकीलों ने कोर्ट से आग्रह किया कि यह मामला आम आपराधिक कृत्य से कहीं अधिक गंभीर है, क्योंकि इसमें एक जनप्रतिनिधि ने अपनी स्थिति और प्रभाव का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि आरोपी ने पीड़िता के विश्वास को धोखा दिया और उसका यौन उत्पीड़न किया, साथ ही इस कृत्य को मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर मानसिक प्रताड़ना को और बढ़ाया।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2021 का है, जब पीड़िता एक फार्महाउस में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया कि प्रज्वल रेवन्ना ने हासन स्थित फार्महाउस और बेंगलुरु के निजी आवास पर उसके साथ दो बार दुष्कर्म किया। इसके अलावा, आरोपी ने इस अपराध को अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड भी किया।

वीडियो क्लिप्स के वायरल होने के बाद महिला ने आगे आकर पुलिस में मामला दर्ज कराया, जिससे यह प्रकरण राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया। मामले में कई बार राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव की बातें भी सामने आईं, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायिक प्रक्रिया इससे प्रभावित नहीं होगी।
कोर्ट का सख्त संदेश
विशेष न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि “इस अपराध में जनप्रतिनिधि के रूप में आरोपी ने जो किया वह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता और विश्वास का भी घोर अपमान है।” उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में दया दिखाना न्याय का मजाक होगा और सख्त सजा से समाज में संदेश जाएगा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ अभी भी यौन शोषण और दुष्कर्म से जुड़े तीन अन्य मामले अदालत में लंबित हैं। इस सजा को कर्नाटक की राजनीति में एक बड़ी गिरावट और न्यायपालिका की दृढ़ता के तौर पर देखा जा रहा है।

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