
गोवा विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन शेष हैं, लेकिन सत्र से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य की 40 सदस्यीय विधानसभा में विपक्ष पहले से ही संख्या बल में कमजोर है और अब आपसी तालमेल की कमी उनकी ताकत को और घटा रही है।
विपक्षी दलों की संख्या तो कम, रणनीति भी बिखरी
वर्तमान में गोवा विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस के पास महज तीन विधायक हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के दो, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) और रिवोल्यूशनरी गोवन्स पार्टी के एक-एक विधायक हैं। इतनी कम संख्या में भी अगर विपक्ष बंटा रहेगा तो सत्तारूढ़ दल के लिए सदन में नकेल कसना और भी मुश्किल हो जाएगा।
यूरी अलेमाओ ने बुलाई विपक्षी दलों की बैठक
कांग्रेस विधायक और विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ ने 21 जुलाई से शुरू हो रहे सत्र को देखते हुए मंगलवार को सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। अलेमाओ का कहना है कि यह बैठक विपक्ष को मजबूत रणनीति और आपसी समन्वय के लिए बेहद जरूरी है। उनके मुताबिक, “यह सही समय है कि हम एक साथ बैठकर तय करें कि सदन में कौन से मुद्दे कैसे उठाए जाने हैं।”
जीएफपी नेता ने बैठक को बताया ‘औपचारिकता’
हालांकि इस बैठक से पहले ही विपक्ष के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई ने इस बैठक को महज औपचारिकता करार दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की रणनीति तय करने के लिए बैठक को विधानसभा की ‘बिजनेस एडवाइजरी कमेटी’ (बीएसी) की बैठक से पहले होना चाहिए था। उनके मुताबिक, “अब बैठक का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि विधायक पहले ही अपने प्रश्न दाखिल कर चुके हैं।”
आम आदमी पार्टी भी असमंजस में
वहीं, आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई भी फिलहाल इस बैठक को लेकर कोई स्पष्ट रुख नहीं दिखा रही है। आप के प्रदेश अध्यक्ष अमित पालेकर ने कहा कि पार्टी सोमवार को तय करेगी कि विपक्ष की इस बैठक में शामिल होना है या नहीं। इससे यह साफ है कि विपक्षी खेमे में आपसी भरोसे की कमी है।
रिवोल्यूशनरी गोवन्स पार्टी लड़ेगी अकेले
इस सबके बीच रिवोल्यूशनरी गोवन्स पार्टी के विधायक वीरेश बोरकर ने तो साफ कर दिया है कि वह किसी भी साझा विपक्ष का हिस्सा नहीं होंगे। बोरकर ने कहा, “मैं सदन में सरकार के खिलाफ अकेले ही आवाज उठाऊंगा।” उनके इस रुख से विपक्ष की एकजुटता को और झटका लगा है।
अलेमाओ ने मतभेदों को किया खारिज
इन मतभेदों पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता यूरी अलेमाओ ने कहा कि बैठक बुलाने में कोई देरी नहीं हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी विपक्षी सदस्य एकजुट होकर बैठक में शामिल होंगे। अलेमाओ के मुताबिक, “हमारा उद्देश्य सिर्फ सरकार को घेरना नहीं है, बल्कि जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से सदन में उठाना है।”
कमजोर विपक्ष को और नुकसान
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विपक्ष अपनी आपसी फूट को दूर नहीं कर पाया तो आगामी मानसून सत्र में सरकार को घेरने की उनकी कोशिश नाकाम रह सकती है। ऐसे में महंगाई, रोजगार और स्थानीय मुद्दों पर सत्ताधारी दल को कठघरे में खड़ा करना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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